गृहवापसी ही उनके लिए एक मात्र विकल्प, सुबह का भूला शाम को घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते
रेवाड़ी,11 जनवरी – पवन कुमार

आगामी लोकसभा चुनाव को लगभग सवा साल और विधानसभा चुनाव को डेढ़-पौने दो साल का समय ही शेष रह गया है I दोनों चुनावों के लिए राजनैतिक गतविधियां अभी से तेज़ हो गईं है I अहीरवाल की राजनीति में राव इंद्रजीत कि चर्चा ना हो, ऐसा हो नहीं सकता I भाजपा जहां राव इंद्रजीत को कठपुतली सांसद बनाकर रखना चाहती है वहीं राव इंद्रजीत केंद्र और प्रदेश में कम से कम एक बार बने रहना चाहते है,यानी दूसरे शब्दों में कहें कि अगर आरती राव को राजनीति में उतारना है तो स्वयं को भी एक पारी और खेलनी होगी I राव इंद्रजीत को एक बार फिर से लोकसभा चुनाव जीतना होगा,तभी वह आरती राव को प्रदेश में जीता पायेंगे I अगर वह लोकसभा चुनाव हार जाते है तो ना केवल आरती राव को विधायक(विधायिका) नहीं बना पाएंगे बल्कि एक प्रकार से रामपुरा हॉउस कि राजनीति का पतन सा हो जायेगा,जैसे कर्नल राम सिंह के ना रहने पर कनीना हॉउस कि राजनीति पर पूर्णग्राम लग गया I इसलिए राव इंद्रजीत सिंह को हर कदम सोच-सोच कर रखना पड़ेगा और वह भी पूरी योजना के साथ,वर्ना सावधानी हटी,दुर्घटना घटी I
उन्हें भाजपा छोड़ने पर भी सोचना पड़ेगा और वह किस पार्टी में जाते है,यह भी काफ़ी नाप-तोल करके फैसला लेना होगा,अन्यथा एक गल्त फैसला उनकी राजनीति को वहीं पर रोक सकता I इस बार केवल मोदी कार्ड इस्तेमाल करके राजनीति में बने रहने से काम नहीं चलेगा I उनके प्रतिद्वंदी दूसरी पार्टियों के मुकाबले भाजपा में ही ज्यादा है,जिस कारण कहीं ना कहीं वह राव इंद्रजीत के लिए परेशानी खड़ी करेंगे I भाजपा छोड़कर अगर वह आप में जाते है तो उनके लिए सांसद बनना मुश्किल है क्योंकि आम आदमी पार्टी का अभी इतना ग्राफ नहीं बढ़ा कि लोक सभा चुनाव में आपकी लोकसभा कि सीट निकल सके I ना ही जे.जे.पी. या इनलो गुरुग्राम लोकसभा सीट निकाल सकती है I अब राव साहब को समझ जाना चाहिए कि उनकी जीत कहां सुरक्षित है I
आम आदमी पार्टी का नया ढाँचा अभी तैयार हो रहा और आम आदमी पार्टी कि वर्तमान गतिविधियों को देखकर उनकी जीत को अभी सुरक्षित नहीं माना जा सकता I अगर वह भाजपा में रहे तो उन्हें काफ़ी नेताओं को मनाना पड़ेगा, जो असंभव सा लगता है और वह ऊपर से मान भी जायें पर अंदर से विश्वासघात होने कि सम्भावना पूरी-पूरी बनी रहेगी और भाजपा टिकट भी एक को ही देगी,चाहे लोकसभा की या फिर विधानसभा की I राव इंद्रजीत से नाराज़ भाजपाइयों को अपने पक्ष में करने के लिए वह प्रधानमंत्री मोदी का सहारा भी लेना चाहेगे,सहारा मिल भी गया तो सफल नहीं होगा,वह मोदी के आगे नतमस्तक भी होंगे और एक जुट नज़र भी आएंगे पर चुनाव में अंदर से राव इंद्रजीत का साथ देंगे,यह बात हज़म नहीं होती I
ऐसा नहीं की राव साहब के दिमाग़ में यह नहीं होगा I उनका चुप रहना उनकी राजनैतिक मज़बूरी है I प्रदेश भाजपा किसी भी सूरत में रेवाड़ी विधानसभा कि टिकट राव इंद्रजीत के कहने पर इस बार नहीं देगी, चाहे वह किसी के लिए भी मांगे,और अगर दे भी दे तो उनके उम्मीदवार को कांग्रेस से ज्यादा नाराज़ भाजपाई हराने का प्रयास करेंगे और एक बार फिर चिरंजीव राव बाजी मार जायेंगे,क्योंकि रेवाड़ी से भाजपा कि टिकट के कई दावेदार टिकट ना मिलने कि सूरत में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे I कुल मिलाकर राव इंद्रजीत के लिए एक तरह से एक तरफ कुआँ है तो एक तरफ खाई है I कुएँ को तो भरा जा सकता है पर खाई को भरना मुश्किल है I इसलिए उन्हें खाई को भरने कि बजाये कुए को भरना चाहिए और वह रास्ता है उनके गृह वापसी का I
गृह वापसी के लिए उनको केवल पूर्वमंत्री कप्तान अजय यादव और राहुल गांधी को ही मनाना पड़ेगा I कांग्रेस राव इंद्रजीत को स्वीकार भी कर लेगी और सोनिया गांधी और राहुल गांधी कि बात को टालना कप्तान अजय के लिए भी मुश्किल है I, इसके लिए उनको केवल एक कुर्बानी देनी होगी कि उन्हें आरती राव को रेवाड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ाने का ईरादा त्यागना होगा, क्यों कि कप्तान अजय यादव चिरंजीव राव का रास्ता किसी भी सूरत में बंद नहीं करना चाहेगे और हो सकता कांग्रेस कोसली विधानसभा से आरती राव को टिकट देदे और कोसली विधानसभा कि सीट भी निकल जाये I कप्तान अजय यादव के सहयोग से कॉंग्रेस कि टिकट पर 2024 में गुरुग्राम लोकसभा सीट निकाल ले जायें I इस तरह वह स्वयं के बने रहने के साथ-साथ आरती राव को राजनीति में स्थापित कर सकते है I इस समय तो भाजपा और राव इंद्रजीत में सम्बन्ध एक अनबन पतिपत्नी के बीच होने वाले तलाक जैसी है I बस इंतज़ार है तो इसका है कि पहल कौन करे ?
राव इंद्रजीत को भी डर है कि भाजपा से तलाक लेने के बाद क्या कांग्रेस उन्हें स्वीकार करेगी या नहीं I मेरा तो मानना है कि डर के आगे जीत है क्योंकि कांग्रेस कि दो सीटों में ईजाफा भी हो रहा है,एक गुरुग्राम लोकसभा सीट का,दूसरा कोसली विधानसभा सीट का,इसलिए कांग्रेस उन्हें यह सोचकर वापिस ले लेगी कि सुबह का भूला शाम को घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते I