कुल 2800 मेगावाट के इस प्लांट को दो चरणों में किया जाएगा। 700-700 मेगावाट की कुल चार यूनिट परमाणु उर्जा संयंत्र में स्थापित होंगी

चंडीगढ, 5 दिसंबर। फतेहाबाद के गोरखपुर गांव में बनाए जा रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र से सात साल बाद बिजली मिलने लगेगी। इस पर करीब 42 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इससे हरियाणा को 2800 मेगावाट और बिजली मिल सकेगी। सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से परमाणु प्लांट को लेकर सवाल किया। मंत्री जितेंद्र सिंह की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया है कि कुल 2800 मेगावाट के इस प्लांट को दो चरणों में किया जाएगा। 700-700 मेगावाट की कुल चार यूनिट परमाणु उर्जा संयंत्र में स्थापित होंगी। पहले चरण में 700-700 मेगावाट की दो यूनिट पर काम शुरू किया जा चुका है। दूसरे चरण पर भी शुरूआती काम शुरू हो चुका है। इसका पहला चरण वर्ष 2031 में पूरा होगा और इसकी दो यूनिट पर करीब 20 हजार 594 करोड़ रुपए की लागत आएगी। जबकि दूसरे चरण की दो यूनिट्स स्थापित करने में लगभग 2 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले चरण पर अभी तक 7 हजार 64 करोड़ और दूसरे चरण की दो यूनिट पर 204 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। सरकार की ओर से अनुमान लगाया गया है कि दूसरा चरण 2032 तक पूरा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि इस परमाणु प्लांट का काम वर्ष 2026 तक पुरा होना था, लेकिन प्लांट के निर्माण में कार्य धीमी गति से चल रहा है। इस वजह से न सिर्फ काम धीमा चल रहा है बल्कि लागत भी बढ़ रही है। बता दें कि इस प्लांट की स्थापना में कुमारी सैलजा का ही अहम योगदान है। कुमारी सैलजा ने ही प्लांट को मंजूर करवाया था और तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह से नींव पत्थर रखवाया था।
नेशनल हाईवे से जोड़ने के लिए बनेगी सड़के
प्लांट को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए सड़क का निर्माण किया जाएगा। इस पहुंच मार्ग से स्थल तक भारी लिफ्टें और मशीनरी के परिवहन की सुगम सुविधा होगी। इसके लिए भूमि सुधार का काम पूरा हो चुका है।
परमाणु संयत्र गोरखपुर में पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की ओर से करोड़ों रुपये का निवेश किया गया है। इस राशि से काजलहेड़ी से गोरखपुर तक फतेहाबाद नहर शाखा के बाएं किनारे पर पक्की सड़क का निर्माण, स्कूलों में कक्षाएं, लैब, पुस्तकालयों और शौचालयों की स्थापना, गौशाला का निर्माण, काजलहेड़ी में कछुआ संरक्षण पार्क का निर्माण, मुफ्त इलाज और दवाओं के वितरण के लिए एक मोबाइल मेडिकल वैन की व्यवस्था करने जैसी विभिन्न विकास परियोजनाओं के कार्य शामिल हैं।