एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

1 फरवरी 2025 को पेश होने वाला केंद्रीय बजट भारत के विकास विज़न 2047 के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सरकार का उद्देश्य आर्थिक गति को बनाए रखना और आर्थिक गतिविधियों को तेज करना है। इस बजट में कर राहत, कौशल विकास, रोजगार सृजन, और युवा गुणवत्ता सुधार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है।

महत्वपूर्ण सुधारों की संभावना

1. आयकर सुधार
मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए राहत की उम्मीद:

  • धारा 80C के तहत कर छूट सीमा को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जा सकता है।
  • स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (धारा 80D) पर छूट में वृद्धि: मौजूदा 25,000 रुपये की सीमा को 50,000 रुपये तक बढ़ाने पर विचार।
  • होम लोन पर ब्याज छूट 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये की जा सकती है।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर स्लैब में संशोधन और पेंशन कटौती में सुधार की संभावना।

2. टैक्स स्लैब में बदलाव

  • वर्तमान में 3 लाख से 10.5 लाख रुपये की आय पर 5% से 20% तक टैक्स लागू है।
  • 10.5 लाख रुपये से अधिक आय पर 30% टैक्स लगता है।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार, 15 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर टैक्स दरों में कमी की जा सकती है।
  • नई टैक्स व्यवस्था (2020) को अपनाने के लिए सरकार पुराने सिस्टम की रियायतों को सीमित कर सकती है।

कौशल विकास और रोजगार सृजन

  • बजट में कौशल विकास के लिए विशेष प्रावधान होने की संभावना है।
  • युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए सरकार कौशल-आधारित कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकती है।
  • विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने हेतु नई योजनाओं की घोषणा संभव।

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट

  • सड़क, रेलवे और ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश।
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सुधार के लिए फंड का आवंटन।

अर्थव्यवस्था और खपत को प्रोत्साहन

  • आर्थिक सुधार और खपत को बढ़ावा देने के लिए मध्यम वर्ग को केंद्रित करते हुए कर छूट पर जोर।
  • करदाताओं के हाथ में अधिक धन उपलब्ध कराने से खपत बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने की संभावना।

चुनौतियां और सरकार की रणनीति

1. राजकोषीय संतुलन

  • कर छूट से राजस्व पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राजकोषीय विवेक और आर्थिक पुनरुद्धार के बीच संतुलन बनाना होगा।

2. मुद्रास्फीति नियंत्रण

  • दैनिक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्ग पर आर्थिक दबाव बढ़ाया है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक की सिफारिशें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण होंगी।

हितधारकों की अपेक्षाएं

  • उद्योग निकायों ने जीएसटी सुधार, पूंजीगत लाभ कर प्रणाली के सरलीकरण और विवाद समाधान तंत्र लागू करने पर जोर दिया।
  • प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत में अर्थशास्त्रियों ने शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिश की।

निष्कर्ष

बजट 2025-26 से सभी की बड़ी उम्मीदें जुड़ी हैं। टैक्स सुधार, कौशल विकास, कृषि उत्पादकता, और रोजगार सृजन पर फोकस से यह बजट मध्यम वर्ग और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नई राह दिखा सकता है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सरकार का ध्यान न केवल खपत बढ़ाने पर है, बल्कि दीर्घकालिक विकास को स्थिर रखने पर भी है।

विज़न 2047 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए यह बजट एक मजबूत आधार बन सकता है।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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