रेवाड़ी, 4 फरवरी 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा में अफसरशाही के बेलगाम होने पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि अब खुद हरियाणा सरकार के मंत्री और भाजपा विधायक भी सार्वजनिक मंचों से अफसरों की मनमानी और उनके फोन तक न उठाने की शिकायत कर रहे हैं।

विद्रोही ने सवाल उठाया कि जब सरकार के मंत्री और विधायक ही अफसरशाही के आगे असहाय महसूस कर रहे हैं, तो आम जनता की क्या स्थिति होगी? उन्होंने कहा कि अफसरशाही के निरंकुश होने और निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की अवहेलना के कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और अधिकारी मनमानी कर रहे हैं।

भाजपा नेताओं का दोहरा रवैया

विद्रोही ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस और आम जनता विगत 7-8 वर्षों से अफसरशाही के बढ़ते प्रभाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रही थी, तब भाजपा नेताओं ने उनकी चिंताओं को नज़रअंदाज किया और अफसरशाही का समर्थन किया। लेकिन अब, जब यही अफसरशाही भाजपा के मंत्रियों और विधायकों को भी अनदेखा कर रही है, तो वे मजबूरी में इस सच को स्वीकारने लगे हैं।

पोस्टिंग के लिए लगती हैं बोलियां?

विद्रोही ने दावा किया कि हरियाणा में अफसरों की महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति और तबादलों के लिए खुली बोलियां लगती हैं। जो अधिकारी सत्ता के शीर्ष पर बैठे भाजपा-संघ के बड़े नेताओं को मोटी रकम देता है, वही महत्वपूर्ण पदों पर बना रहता है। यही कारण है कि ये अधिकारी मनमानी करने से नहीं डरते, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

जनप्रतिनिधियों की सीमित भूमिका

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में मंत्री, विधायक और सांसद मात्र “सजावटी कठपुतलियां” बनकर रह गए हैं। अफसरशाही को पता है कि भाजपा के नेता उनके खिलाफ केवल बयानबाजी कर सकते हैं लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकते। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता के संरक्षण में बड़े नेता और अधिकारी जनता का शोषण कर रहे हैं और आम नागरिकों को न्याय नहीं मिल रहा।

जनता को न्याय कैसे मिलेगा?

विद्रोही ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में सिर्फ वही व्यक्ति अपने काम करा सकता है जिसके पास “मोटा माल” यानी रिश्वत देने की क्षमता हो। आम जनता को सरकारी दफ्तरों में कोई सुनवाई नहीं मिलती, जबकि पैसे वाले लोग आसानी से अपना काम करवा लेते हैं।

उन्होंने इस भ्रष्ट व्यवस्था को सुधारने के लिए जनता से एकजुट होकर आवाज उठाने की अपील की और सरकार से इस बेलगाम अफसरशाही पर नियंत्रण करने की मांग की।

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