चंडीगढ़ /गुरुग्राम : हरियाणा चुनाव आयोग ने आज नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका चुनावों की घोषणा कर दी, लेकिन इस दौरान विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षाओं का ख्याल नहीं रखा गया।

हरियाणा राज्य चुनाव आयुक्त माननीय धनपत सिंह जी ने इन चुनावों की घोषणा इतनी जल्दबाज़ी में कर दी कि वे यह भूल गए कि राज्य में 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं। हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा जारी डेटशीट के अनुसार, 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं 27 और 28 फरवरी से, जबकि 12वीं कक्षा की परीक्षाएं 28 फरवरी से शुरू हो रही हैं। इसके अलावा, CBSE बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 15 फरवरी से आरंभ हो रही हैं।

विद्यार्थियों पर चुनावी प्रक्रिया का असर

सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप सिंह कदम ने बताया कि गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र एक पूर्णतः शहरी क्षेत्र है, जहां अधिकतर विद्यार्थी हरियाणा शिक्षा बोर्ड के अलावा CBSE पब्लिक स्कूलों में पढ़ते हैं। चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर लाउडस्पीकर, सभाएं, रैलियां और डोर-टू-डोर प्रचार अभियान चलाए जाएंगे, जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ेगा और विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होगी। यह उन छात्रों के लिए बेहद चिंताजनक है, जो अपने बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं।

सरकार के दबाव में लिया गया फैसला?

विशेषज्ञों का मानना है कि हरियाणा चुनाव आयोग ने यह घोषणा हरियाणा सरकार के दबाव में आनन-फानन में कर दी। आमतौर पर भारत के किसी भी राज्य में चुनाव की तारीखें घोषित करते समय बोर्ड परीक्षाओं का ध्यान रखा जाता है, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो। मगर हरियाणा में ऐसा पहली बार हुआ है कि चुनाव आयोग ने परीक्षाओं की अनदेखी की है।

क्या सरकार और चुनाव आयोग विद्यार्थियों की चिंता नहीं कर रहे?

यह प्रश्न उठता है कि हरियाणा चुनाव आयोग और मुख्यमंत्री माननीय नायब सिंह सैनी विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर कितने संवेदनशील हैं? क्या उनके लिए चुनाव ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं और विद्यार्थियों की शिक्षा गौण हो गई है?

मांग: चुनाव स्थगित किए जाएं

ऐसे में हरियाणा सरकार और चुनाव आयोग को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए और बोर्ड परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए निकाय चुनावों की तारीखों को स्थगित करना चाहिए। इससे विद्यार्थियों को अपनी परीक्षाओं की तैयारी में किसी भी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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