एचएयू में कृषि विशेषज्ञों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से किया मंथन
चंडीगढ़, 8 फरवरी- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि खेजड़ी के पेड़ की महत्वत्ता से किसानों को जागरूक करना होगा। इसके लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के साथ-साथ यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट को भी अहम भूमिका निभानी होगी। राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय आज हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में पहुंचे और यहां हुई बैठक में उन्होंने खेजड़ी यानी जांटी पेड़ के बारे में कई पहलुओं पर चर्चा की। बैठक में नलवा विधायक रणधीर पनिहार, चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो बीआर काम्बोज, गुरु जम्भेश्वर साइंस एवं टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के वीसी नरसी राम बिश्नोई, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अलावा यूनिवर्सिटी के अलग अलग डिपार्टमेंट के डीन भी मौजूद रहे।
इस मौके पर राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि खेजड़ी यानि जांटी महत्वशाली है। इसके गुणों के बारे में हर किसी को पता होना चाहिए। किसान इसके प्रति तभी आकर्षित होंगे, जब इसके बारे में उन्हें पता लगेगा। किसानों को इस संबंध में प्रोत्साहित भी करें। क्योंकि जब उनमें इस पौधे की महत्व को लेकर जागरूकता आएगी, तब वो इस दिशा में कार्य भी करेंगे। ऐसे में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इसके लिए समाजसेवियों और यूनिवर्सिटी को साथ लेकर काम करें। किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जाए।
उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रबंधन को इस पेड़ को लेकर रिसर्च शुरू करने के निर्देश भी दिए। इसके तहत वैल्यू एडिशन की दिशा में काम करने के साथ साथ इस प्रजाति को लेकर ऐसा काम करने के निर्देश दिए कि जिसके इस प्रजाति के पेड़ को पूरा बड़ा होने में पहले की तुलनात्मक कम वक्त लगे।
खेजड़ी पौधे के उत्पादन के संबंध में काम करने को लेकर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि इस विषय को लेकर शॉर्टकट में नहीं बल्कि जड़ में जाने की जरूरत है। इसके तहत सबसे पहला काम इस पौधे के बारे में किसानों को जागरूक करना होगा। किसानों को बताना होगा कि इस पौधे के पेड़ बनने के बाद कैसे वो आमदनी हासिल कर सकते हैं। लैब के विषय पर अपनी बात रखते हुए महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि लैब बन जाएगी। उन्होंने इस दौरान बैठक में मौजूद तमाम पदाधिकारियों को तीन मुख्य बिंदुओं पर फोकस करने की बात कही, जिसमें पहला काम लोगों तथा किसानों को इस विषय के बारे में जागरूक करना, दूसरा शोध शुरू करना और तीसरा रूपरेखा बनाकर भविष्य की योजना पर काम करना। विधानसभा के सेशन के बाद वो इस विषय पर एक खास बैठक करेंगे। बैठक में सामाजिक लोगों के अलावा, यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक, अधिकारी तथा एग्रीकल्चर और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मंत्रियों को भी शामिल करेंगे।