गुरुग्राम: नगर निगम गुरुग्राम की लचर कार्यशैली और ढुलमुल रवैये से शहरवासी परेशान हैं। पहले प्रॉपर्टी आईडी को अपडेट करने की शक्ति ZTO के पास थी, जिससे नागरिकों को बार-बार फाइल रिवर्ट होने की समस्या झेलनी पड़ती थी। अब यह अधिकार सभी निगम के ज्वाइंट कमिश्नरों को दे दिया गया है, लेकिन हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं।
500 से 1000 फाइलें लंबित, नागरिक परेशान
सूत्रों के मुताबिक, नगर निगम गुरुग्राम के ज़ोन 1 और ज़ोन 2 में प्रॉपर्टी आईडी से संबंधित 500 से 1000 फाइलें लंबित पड़ी हैं। नागरिक अपनी फाइलों को अपडेट कराने के लिए निगम कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कार्यवाही के नाम पर केवल टालमटोल किया जा रहा है।
कई नागरिकों ने बताया कि उनकी प्रॉपर्टी आईडी से जुड़े काम महीनों से पेंडिंग पड़े हैं, जिससे उनके एग्रीमेंट की तारीखें समाप्त होने लगी हैं। नगर निगम की लापरवाही के कारण प्रॉपर्टी आईडी अपडेट नहीं हो रही है, जिससे हरियाणा सरकार को भी टैक्स के रूप में भारी राजस्व नुकसान हो रहा है।
रिवर्ट पर रिवर्ट का खेल, साइबर कैफे वाले कर रहे मनमानी वसूली
शहरवासियों की मानें तो नगर निगम गुरुग्राम के अधिकारी फाइल पर बार-बार ऑब्जेक्शन लगाकर उन्हें रिवर्ट कर देते हैं। इसके चलते नागरिकों को बार-बार साइबर कैफे जाकर फाइल अपलोड करनी पड़ती है।
साइबर कैफे संचालक एक फाइल को अपलोड करने के नाम पर 200 से 500 रुपये तक वसूलते हैं। अगर किसी को नाम, मोबाइल नंबर, पता, एरिया, प्रॉपर्टी डिटेल, कैटेगरी बदलवानी हो या नई प्रॉपर्टी आईडी बनवानी हो, तो नागरिकों को 1000 रुपये तक का खर्च उठाना पड़ता है।
आखिर नगर निगम गुरुग्राम कब सुधरेगा?
नगर निगम गुरुग्राम के चारों जोनों में प्रॉपर्टी आईडी से जुड़ी समस्या समान रूप से बनी हुई है। नागरिकों की मांग है कि नगर निगम इस प्रक्रिया को सरल बनाए और रिवर्ट पर रिवर्ट करने की प्रक्रिया पर रोक लगाए।
हरियाणा सरकार को इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेना चाहिए और नगर निगम अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए ताकि नागरिकों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जा सके।