हरियाणा नगर निगम कानून, 1994  की धारा 53 में आज तक नहीं किया गया संशोधन – एडवोकेट हेमंत कुमार  

चंडीगढ़ —  हरियाणा में कुल 33 नगर निकायों ( 8 नगर निगमों – नामत:  फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, करनाल, मानेसर, पानीपत, रोहतक और यमुनानगर,  4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों ) के  आम चुनाव  एवं अम्बाला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव, सोहना नगर परिषद, इस्माईलाबाद और असंध नगर पालिका समितियों के अध्यक्ष पद उपचुनाव  की घोषणा गत 4 फरवरी को   राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई जिसके  लिए  मतदान अगले माह 2 मार्च 2025 ( पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च) जबकि मतगणना 12 मार्च 2025 को होगी.

इसी बीच  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में  एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ( 9416887788) ने एक रोचक  परंतु महत्वपूर्ण पॉइंट  उठाते हुए बताया कि   सितम्बर, 2018 में  हरियाणा  विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम कानून, 1994  में  संशोधन कर हर नगर निगम क्षेत्र के योग्य मतदाताओं द्वारा निगम मेयर के  प्रत्यक्ष (सीधे  ) चुनाव करने  का प्रावधान किया गया हालांकि  ऐसा करते हुए धारा 53 में संशोधन करना छूट गया था जिससे मौजूदा तौर पर प्रत्यक्ष  निर्वाचित मेयर की व्यवस्था लागू होने बावजूद  आज भी उक्त  कानून में निर्वाचित नगर निगम सदस्यों (जिन्हें आम भाषा में  पार्षद कहा जाता है हालांकि पार्षद शब्द हरियाणा नगर निगम  कानून में नहीं है) द्वारा   मेयर चुनने  का प्रावधान मौजूद  है.    

उपरोक्त कानूनी संशोधन के बाद सर्वप्रथम दिसम्बर,2018 में प्रदेश के  पांच नगर निगमों नामत: – हिसार, करनाल, पानीपत, रोहतक और  यमुनानगर एवं तत्पश्चात  दिसम्बर,2020 में तीन नगर निगमों नामत:- अम्बाला, पंचकूला और सोनीपत नगर निगमों के मेयर का प्रत्यक्ष (सीधा) निर्वाचन कराया गया था.

बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि उक्त धारा 53 में आगे   उल्लेख  है कि नगर निगम के आम चुनावों के बाद  सम्बंधित नगर निगम के मंडल आयुक्त (डिविजनल कमिश्नर)  द्वारा नव गठित नगर निगम सदन की बुलाई जानी वाली प्रथम बैठक में   किसी नगर निगम सदस्य, जो मेयर पद के निर्वाचन  हेतु  उम्मीदवार नहीं होगा,  को  चुनावी प्रक्रिया की अध्यक्षता के  लिए नामित किया जाएगा. अगर मेयर पद के चुनाव हेतु  करवाए गए  मतदान में दो या अधिक उम्मीदवारों  के वोट बराबर होते  हैं और एक अतिरिक्त वोट मिलने  से उन उम्मीदवारों में  से मेयर के तौर पर निर्वाचित हो सकता है  तो ऐसी परिस्थिति में  चुनाव  प्रक्रिया की अध्यक्षता करने  वाले नगर निगम सदस्य द्वारा यह चुनाव लड़ रहे सभी  उम्मीदवारों की उपस्थिति में ड्रा ऑफ़ लोट (लाटरी सिस्टम) से भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा और उसे मेयर निर्वाचित घोषित किया जाएगा. 

हेमंत ने बताया कि हालांकि  14 नवंबर, 2018 को  हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के कई नियमों में उपयुक्त  संशोधन किया गया जिसमें उसके  नियम 71 को भी पूर्णतः संशोधित कर उसमें  उल्लेख  किया गया कि नगर निगम के आम चुनावों के परिणामों की अधिसूचना के तीस दिनों के भीतर बुलाई गई  पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा  सीधे  निर्वाचित मेयर और  नगर निगम सदस्यों को पद और  निष्ठा की शपथ दिलाई जाएगी.  इस प्रकार नगर निगम आम चुनावों के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे / कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम कानून,1994 की उक्त  धारा 53  और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71  में  विरोधाभास   है.

 इस बारे  में एडवोकेट   हेमंत  का स्पष्ट कानूनी मत है कि अगर  किसी विषय पर  कानून  की किसी धारा  और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में किसी प्रकार का  विरोधाभास  हो, तो ऐसी  परिस्थिति में कानूनी धारा ही मान्य.लागू  होती   है जैसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा  दिए गए  कई निर्णयों से भी स्पष्ट  होता है  चूँकि  कानून को  विधानसभा या संसद  द्वारा बनाया  किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत  नियम     राज्य/केंद्र सरकार   द्वारा बनाये जाते  हैं. इस प्रकार सम्बंधित नियम कानूनी धारा से नीचे होते हैं अर्थात उपरोक्त  नगर निगम निर्वाचन नियमावली के नियम 71  के स्थान पर  नगर निगम कानून की धारा 53 ही लागू होगी.  इसी के दृष्टिगत हेमंत ने गत 6 वर्षो में कई बार प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग  को लिखकर हरियाणा  नगर निगम कानून 1994 की धारा 53 में तत्काल उपयुक्त संशोधन करने का मामला उठाया है ताकि हरियाणा की सभी नगर निगमों में प्रत्यक्ष निर्वाचित मेयर के चुनाव को सम्पूर्ण कानूनी मान्यता प्राप्त हो सके हालांकि आज तक इस बारे में आवश्यक कार्रवाई की जानी लंबित है.    

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