करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद तालाबों की हालत बद से बदतर क्यों बनी हुई है? विद्रोही

स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार योजनाओं के आकर्षक नाम रखकर जनता को भ्रमित करती है। परंतु, न केवल ये योजनाएँ अपने नाम के अनुरूप काम करने में असफल रहती हैं, बल्कि इनके नाम पर आवंटित धन का भी गबन किया जाता है।
विद्रोही ने विशेष रूप से हरियाणा में तालाबों और जोहड़ों के सुधार को लेकर भाजपा सरकार की कथनी और करनी में अंतर की ओर इशारा किया। उन्होंने बताया कि पिछले 7-8 वर्षों से भाजपा सरकार तालाबों और जोहड़ों के सौंदर्यीकरण की बात कर रही है। इसके तहत वर्ष 2022 में ‘अमृत योजना’ के अंतर्गत प्रदेश के तालाबों और जोहड़ों को ‘अमृत सरोवर’ का नाम दिया गया था। इस संदर्भ में एक विदेशी कंपनी से एमओयू भी किया गया था। परंतु, नामकरण तक ही सीमित इस योजना का वास्तविक क्रियान्वयन न के बराबर हुआ, बल्कि स्थिति और भी भयावह हो गई।
हरियाणा सरकार की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में कुल 19,716 तालाब और जोहड़ हैं, जिनमें से 11,288 जलाशयों का पानी इतना प्रदूषित हो चुका है कि यह न केवल मनुष्यों बल्कि पशुओं के उपयोग के लायक भी नहीं बचा। विद्रोही ने कहा कि जब 60% से अधिक जलाशयों का पानी इतना विषाक्त है कि उसमें पशुओं को नहलाना तक असुरक्षित हो गया है, तो ऐसे में पशुओं द्वारा इसे पीना या गलती से किसी व्यक्ति का इसमें स्नान करना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
विद्रोही ने सरकार से जवाब मांगा कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद तालाबों की हालत बद से बदतर क्यों बनी हुई है? उन्होंने आरोप लगाया कि अमृत सरोवर के नाम पर केवल नामकरण और आधे-अधूरे कार्यों के जरिए धन की बंदरबांट की गई है। जब प्रदेश के अधिकांश तालाबों का पानी जहरीला है, तो उन्हें ‘अमृत सरोवर’ कहने की बजाय ‘जहरीले तालाब और जोहड़’ कहना अधिक उचित होगा।
अपने जिले रेवाड़ी का उदाहरण देते हुए विद्रोही ने कहा कि यहां जिन तालाबों और जोहड़ों के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, वहां के ग्रामीण सरकार के कार्य से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि अमृत तालाबों के नाम पर किए गए कार्य अधूरे और निरर्थक हैं। नतीजतन, स्थिति जस की तस बनी हुई है।
उन्होंने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि ‘अमृत तालाब’ योजना के नाम पर सत्ता से जुड़े दलाल और भाजपा-संघ से जुड़े लोग ही अधिकतर लाभान्वित हुए हैं। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि प्रदेश के अधिकतर तालाब आज भी जहरीले पानी से भरे हुए हैं। उन्होंने सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए कहा कि इस योजना से जुड़ी अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके।