चंडीगढ़, 15 फरवरी – हरियाणा में आगामी नगर निकाय चुनावों को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए एडवोकेट हेमंत कुमार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री धनपत सिंह को एक ज्ञापन भेजा है। इस पत्र में उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के साथ वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के अनिवार्य उपयोग की मांग की है। उनका तर्क है कि इससे मतदाताओं का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास बढ़ेगा और मतदान में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। उन्होंने हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि आगामी 2 एवं 9 मार्च 2025 को होने वाले नगर निकाय चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपैट का प्रयोग किया जाए, ताकि मतदान प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।

आदरणीय श्रीमान धनपत सिंह जी,
राज्य निर्वाचन आयुक्त महोदय,
हरियाणा.
यादि क्रमांक एच.के.- जी.ए. / विशेष / न.नि. ( आम चुनाव – उपचुनाव – 2025) /ह.रा.नि.आ.- ईवीएम – वी.वी.पैट / दिनांक 15 फरवरी 2025
विषय — आगामी 2 एवं 9 मार्च 2025 को हरियाणा राज्य की कुल 33 नगर निकाय (8 नगर निगमों, 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगर पालिका समितियों ) के आम चुनाव, 2 नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव, 1 नगर परिषद एवं 2 नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद उपचुनाव एवं 3 नगरपालिका समितियों में 1-1 वार्ड सदस्यों के उपचुनाव
हेतु हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाए जाने वाले मतदान में वी.वी.पैट. टेक्नोलॉजी ( वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के साथ ई.वी.एम. (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का प्रयोग किये जाने सम्बन्धी ज्ञापन एवं अभिवेदन — माननीय सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारतीय चुनाव आयोग नामक केस में दिए गए ऐतिहासिक निर्णय में ई.वी.एम. के साथ वी.वी.पैट. की व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया था ताकि ई.वी.एम. प्रणाली से मतदान पर पूर्ण विश्वसनीयता कायम हो सके
सर्वप्रथम विनम्र निवेदन है कि आपको यह ज्ञापन और अभिवेदन भेजने वाला अधोहस्ताक्षरी हेमंत कुमार भारत देश का एक नागरिक, हरियाणा प्रदेश में अम्बाला नगर निगम का एक निवासी एवं माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक अधिवक्ता (एडवोकेट) है.
यह प्रतिवेदन माननीय भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय का सम्मान करने और उसकी सख्त अनुपालना करवाने हेतु आपको भेजा जा रहा है.
आगामी 2 एवं 9 मार्च 2025 को हरियाणा राज्य की कुल 33 नगर निकाय (8 नगर निगमों, 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगर पालिका समितियों ) के आम चुनाव, 2 नगर निगमों के मेयर पद उपचुनाव, 1 नगर परिषद एवं 2 नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष पद उपचुनाव एवं 3 नगरपालिका समितियों में 1-1 वार्ड सदस्यों के उपचुनाव हेतु हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान करवाया जाना है.
हाल-फिलहाल में हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एक आदेश और चुनावी घोषणा सम्बन्धी नोटिफिकेशन आदि (जैसा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी दर्शाया जा रहा रहा है) से यह तो स्पष्ट होता है कि गत वर्षो की तर्ज पर उपरोक्त नगर निकाय चुनावों में मतदान (वोटिंग) तो ई.वी.एम. (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) तकनीक से ही करवाया जाएगा परन्तु इस बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि ई.वी.एम. के साथ वी.वी.पैट. ( वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) व्यवस्था का भी प्रयोग किया जाएगा. आज तक इस सम्बन्ध में हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आधिकारिक रूप से कुछ भी सार्वजनिक प्रकटीकरण नहीं किया गया है.
इसी आशय में अधोहस्ताक्षरी द्वारा हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग से अपील की जाती है कि चूँकि अक्टूबर, 2013 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारतीय चुनाव आयोग नामक केस में दिए गए ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय में ई.वी.एम. के साथ वी.वी.पैट. की व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया था जिसे गत वर्षो में चरणबद्ध तरीके से भारतीय चुनाव आयोग द्वारा पूरे देश में लोक सभा चुनावों और सभी विधानसभाओं के चुनावों में लागू भी कर दिया गया है, इसलिए हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग को भी, जिसे न केवल हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 के प्रासंगिक प्रावधानों के अंतर्गत बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 जेड.ए. के अंतर्गत प्रदेश में तीनों प्रकार के म्युनिसिपल संस्थाओं के चुनाव करवाने हेतु पर्याप्त शक्तियां प्रदान की गयी है, उसे भी माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गये निर्णय मार्फ़त निर्देशित वी.वी.पैट. तकनीक के प्रयोग के साथ ही ई.वी.एम. द्वारा प्रदेश में आगामी नगर निकायों के चुनावों में मतदान करवाने की व्यवस्था करनी चाहिए.
जैसा आप सभी को विदित है कि वीवीपैट प्रणाली में जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए ईवीएम पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने का नीला बटन दबाता है तो उस मतदाता का वोट दर्ज होने के साथ ई.वी.एम. के साथ जुडी वी.वी.पैट. (जिसमे एक कागज़ की पर्चियां प्रिंट करने वाला प्रिंटर एवं ड्राप बॉक्स होता है ) में से एक कागज़ की पर्ची सृजित होती है जिसमे मतदाता द्वारा वोट किये गए उम्मीदवार की क्रम संख्या, उसका नाम एवं उसका चुनाव चिन्ह दिखाई देता है एवं इस कागज़ की पर्ची को प्रिंटर पर मौजूद पारदर्शी प्लास्टिक/कांच के माध्यम से मतदाता द्वारा सात सेकंड तक देखा जा सकता है और उसके द्वारा डाले गये मत/वोट की प्रमाणिकता जाँची जा सकती है, जिसके बाद वह कागज़ की पर्ची उसके साथ जुड़े ड्राप बॉक्स में स्वत: गिर जाती है. चूँकि वी.वी.पैट. द्वारा सृजित पर्ची मतदाता के हाथ में नहीं आती, इसलिए वह उसे मतदान केंद्र के बाहर नहीं ला सकता है.
ज्ञात रहे कि अप्रैल-मई, 2019 में देश में 17वी लोकसभा के आम चुनावों में पहले सुप्रीम कोर्ट के तीन जज बेंच द्वारा दिए गए एक निर्णय के बाद ईवीएम – वी.वी.पैट तकनीक द्वारा करवाए गए मतदान बाद मतगणना प्रक्रिया में हर लोक सभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक विधानसभा हलके में से पांच-पांच पोलिंग स्टेशनो और वहीं हर विधानसभा क्षेत्र में पड़ें वाले पांच पोलिंग स्टेशनो में मतदान के लिए प्रयोग किये गए ईवीएम में डाले गए वोटों को उनके साथ अटैच (संलग्न ) किये गए वी.वी.पैट. में सृजित वोटों की पर्चियों के साथ मिलान करना आवश्यक होता है. यह प्रक्रिया मतगणना के अंतिम दौर के बाद अमल में लायी जाती है. अगर ई.वी.एम. और वी.वी.पेट. में मिलान करने समय दोनों में दर्ज वोटो और उनकी पर्चियों में अंतर आता है तो ऐसी परिस्थिति में ई.वी.एम. की नहीं बल्कि वीवीपैट की संख्या मान्य होती है एवं उसे रिकॉर्ड पर लिया जाता है जिसके बाद सम्बंधित रिटर्निंग अधिकारी द्वारा पुर्नमतदान आदि के सम्बन्ध में निर्णय लिया जाता है.
चूँकि हरियाणा में शहरी निकायों (नगर निगम/नगरपालिका परिषद/नगरपालिका समिति ) के चुनाव हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा करवाए जाते हैं जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा हरियाणा नगरपालिका निर्वाचन नियमावली, 1978 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 बनायीं गई हैं जिसमें समय समय पर राज्य सरकार द्वारा संशोधन होता रहता है एवं कई वर्षो पूर्व इनमें मतदान के लिए बैलट पेपर के साथ साथ साथ ईवीएम का प्रयोग करने का भी उल्लेख किया गया था. हालांकि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईवीएम की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए उसके साथ वी.वी.पैट. व्यवस्था लागू करने का महत्वपूर्ण निर्णय देने के बावजूद आज तक हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में नगर निकाय चुनावों की निर्वाचन नियमावली में वी.वी.पेट. के सम्बन्ध में उपयुक्त संशोधन/प्रावधान नहीं किया गया है जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. अब ऐसा भूलवश हुआ है अथवा किसी और कारण से, यह निश्चित तौर पर जांच योग्य है.
वर्ष 2021 में भी अधोहस्ताक्षरी द्वारा इस विषय पर हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग से ईवीएम के साथ वी.वी.पैट व्यवस्था लागू करने बारे लिखकर सूचना मांगी गयी थी परन्तु तब उन्हें यह जवाब दिया गया था कि उनकी अर्जी पर आयोग द्वारा विचार-विमर्श कर उसे फाइल (दफ्तर-दाखिल) कर दिया गया है.
बहरहाल, अधोहस्ताक्षरी द्वारा हरियाणा के वर्तमान राज्य निर्वाचन आयुक्त श्रीमान धनपत सिंह जी से इस ज्ञापन एवं अभिवेदन मार्फ़त एक बार पुन: अपील की जाती है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान एवं उसकी अनुपालना करते हुए हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश में आगामी नगर निकाय के आम चुनाव और उपचुनाव में मतदान दौरान ईवीएम के साथ साथ वी.वी.पैट. व्यवस्था को अवश्य लागू किया जाए ताकि ईवीएम पर न केवल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की बल्कि हर आम मतदाता की भी विश्वसनीयता कायम रहे जो सफल और मजबूत लोकतंत्र के लिए अत्यंत आवश्यक है.
हरियाणा राज्य निर्वाचन आयोग निस्संदेह भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 जेड.ए. के अंतर्गत उसे प्रदेश नगर निकाय चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण सम्बन्धी प्राप्त शक्तियों का प्रयोग कर प्रदेश में आगामी नगर निकायों के आम चुनाव और उपचुनाव में मतदान दौरान ई.वी.एम. के साथ साथ वी.वी.पैट. व्यवस्था को अवश्य तौर पर लागू करने बार आवश्यक आदेश जारी कर सकता है.
धन्यवाद एवं आभार सहित,
आपका आज्ञाकारी,
हेमंत कुमार, एडवोकेट
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट,
चंडीगढ़