गुरुग्राम, रेवाड़ी, 20 फरवरी 2025: हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राव बिरेन्द्र सिंह की जयंती के अवसर पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश ने उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कपिल यादव, अमन कुमार और अजय कुमार सहित अन्य लोगों ने भी राव साहब को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इस अवसर पर विद्रोही ने कहा कि राव बिरेन्द्र सिंह जीवनभर किसानों, मजदूरों और गांवों के हकों की आवाज उठाते रहे। हरियाणा की राजनीति में उनका विशेष दखल था और दक्षिणी हरियाणा में उन्हें जनता का अपार समर्थन प्राप्त था। लोग उनकी एक आवाज पर हर तरह का सहयोग करने को तत्पर रहते थे।

हरियाणा की पहली संयुक्त सरकार के निर्माता

राव बिरेन्द्र सिंह 1967 में हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनका कार्यकाल मात्र 8 महीने का रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने प्रदेश और देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला। 1967 में हरियाणा में पहली संयुक्त सरकार उन्हीं के नेतृत्व में बनी, जिससे प्रेरित होकर उसी वर्ष देश के 8 राज्यों में संयुक्त सरकारें बनीं।

‘राव आया-भाव आया’ का नारा हुआ मशहूर

मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलवाया, जिसके कारण हरियाणा में नारा गूंजा—“राव आया-भाव आया, राव गया-भाव गया।” बाद में, वे इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में केंद्रीय कृषि मंत्री बने और किसानों के हित में कई बड़े फैसले लिए।

पानी समझौते में निभाई अहम भूमिका

31 दिसंबर 1981 को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौता करवाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। यदि इस समझौते का राजनीतिक कारणों से विरोध न हुआ होता, तो एसवाईएल नहर का निर्माण पूरा हो चुका होता और दक्षिणी हरियाणा को उसका हक मिल चुका होता।

दक्षिणी हरियाणा के बेताज बादशाह

राव बिरेन्द्र सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दिया। उन्होंने दक्षिणी हरियाणा में शैक्षणिक संस्थानों के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी वे अपने अंतिम समय तक हरियाणा की राजनीति को प्रभावित करते रहे।

विद्रोही ने कहा कि राव बिरेन्द्र सिंह को जनता कभी नहीं भुला सकेगी। वे सही मायनों में दक्षिणी हरियाणा के बेताज बादशाह थे।

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