गुरुग्राम: जैसे-जैसे नगर निगम चुनाव नजदीक आ रहे हैं, चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है। यह चुनाव स्थानीय चेहरों और नेतृत्व क्षमता की परीक्षा माने जाते हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस के उम्मीदवारों को लेकर जनता में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

कांग्रेस के उम्मीदवार या नवीन गोयल समर्थक?
चुनाव को लेकर जब स्थानीय लोगों से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि वार्डों में कुछ ऐसे उम्मीदवार सामने आए हैं, जिनका नाम पहले कभी नहीं सुना और न ही वे कभी किसी राजनीतिक गतिविधि में सक्रिय नजर आए। कांग्रेस द्वारा टिकट आवंटन की खबर के बाद कुछ नए चेहरों के फ्लेक्स बोर्ड अचानक दिखाई देने लगे, जिन पर भाजपा से जुड़े रहे नवीन गोयल की तस्वीरें लगी थीं।
चौंकाने वाली बात यह रही कि तीन-चार दिन के भीतर ही ये उम्मीदवार कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी बन गए और उन्होंने अपने नए चुनावी पोस्टर कांग्रेस के हाथ के निशान के साथ लगा दिए। कई जगहों पर पुराने फ्लेक्स बोर्ड हटाए भी नहीं गए, बल्कि उसी के ऊपर कांग्रेस के बोर्ड चिपका दिए गए। ऐसे में जनता सवाल उठा रही है कि ये उम्मीदवार कांग्रेस के हैं, या नवीन गोयल समर्थक?
कभी कांग्रेस की गतिविधियों में नहीं दिखे ये उम्मीदवार

स्थानीय मतदाता इस बात को लेकर असंतुष्ट नजर आए कि कांग्रेस के टिकट पर खड़े कई उम्मीदवारों को पहले पार्टी के किसी भी आयोजन, जैसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ या ‘भारत न्याय यात्रा’, में नहीं देखा गया। उन्होंने न तो कभी कांग्रेस के आंदोलनों में भाग लिया, न ही जनता की समस्याओं को उठाया।
जनता का कहना है कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी को हराने में भूमिका निभाई थी। चुनाव में नवीन गोयल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दूसरे स्थान पर रहे थे, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर चली गई थी। ऐसे में अब कांग्रेस ने उन्हीं लोगों को टिकट दे दिया, जिन्होंने पहले कांग्रेस के खिलाफ काम किया था।
कांग्रेस ने ‘टीम नवीन’ को ही थमा दिए टिकट?
गुरुग्राम के कई वार्डों में कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो विधानसभा चुनाव में नवीन गोयल के साथ दिखाई दिए थे। सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस के पास गुरुग्राम में अपने मजबूत और जमीनी नेता नहीं बचे, जो पार्टी को बाहर से आए नेताओं को टिकट देने की जरूरत पड़ गई?
इसके अलावा, कांग्रेस ने मेयर पद के लिए भी ऐसी उम्मीदवार को चुना, जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर नवीन गोयल का समर्थन किया था। सीमा पाहुजा, जो पहले वार्ड पार्षद रह चुकी हैं, को जॉइनिंग के तुरंत बाद कांग्रेस ने मेयर का टिकट दे दिया। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने वार्ड नंबर 32 से उनके पति पवन पाहुजा को भी पार्षद पद का उम्मीदवार बना दिया।
वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर ‘बाहरी’ चेहरों को टिकट
यह पहला मौका नहीं है, जब कांग्रेस ने स्थानीय और वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर बाहरी चेहरों को प्राथमिकता दी हो। इससे पहले भी गुरुग्राम कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव, जितेंद्र भारद्वाज जैसे पुराने नेताओं को नजरअंदाज कर लोकसभा चुनाव में राज बब्बर को टिकट दिया गया।
इसी तरह, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन 32 नेताओं को टिकट नहीं दिया, जिन्होंने नामांकन दाखिल किया था, बल्कि मोहित ग्रोवर को सीधे पार्टी में शामिल कर उम्मीदवार बना दिया। अब नगर निगम चुनाव में भी यही दोहराया गया, जहां वार्ड 5 से पूनम कश्यप, वार्ड 27 से सुल्तान वाल्मीकि, वार्ड 30 से चंचल वर्मा, वार्ड 32 से पवन पाहुजा, वार्ड 34 से सुखमंती कोली जैसे नामों को सीधे टिकट दे दिया गया।
जनता ने कहा- वोट उसी को जो जनता के साथ खड़ा हो
स्थानीय नागरिकों ने कहा कि चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को वोट देना सही नहीं होगा, जो जनता से कभी जुड़े ही नहीं। उन्होंने कहा कि जनता का समर्थन उसी को मिलेगा, जो लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय हो, आम लोगों की समस्याओं को सुना और समझा हो, और विकास कार्यों में योगदान दिया हो।
नगर निगम चुनाव में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के ये ‘उधारी के उम्मीदवार’ जनता का विश्वास जीत पाते हैं या नहीं।