
चंडीगढ़: हरियाणा राज्य चुनाव आयोग (S.E.C.) द्वारा 33 नगर निकायों (8 नगर निगम, 4 नगर परिषद और 21 नगर समितियों) के आम चुनावों के साथ-साथ दो महापौर पदों और कुछ नगर अध्यक्षों एवं पार्षदों के उपचुनाव आगामी 2 मार्च (पानीपत नगर निगम के लिए 9 मार्च) को कराए जाएंगे, जबकि मतगणना 12 मार्च को होगी।
गौरतलब है कि पिछले एक दशक से अधिक समय से हरियाणा में नगर निकाय चुनावों में मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का उपयोग नहीं किया गया, जबकि यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अक्टूबर 2013 के फैसले के अनुसार अनिवार्य है।
ईवीएम के साथ वीवीपैट के उपयोग की मांग
इस बीच, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने हरियाणा के राज्य चुनाव आयुक्त (SEC) धनपत सिंह और राज्य सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को एक स्मार पत्र (मेमोरेंडम-कम-रिप्रेजेंटेशन) भेजा, जिसमें उन्होंने आगामी नगर निकाय चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपैट के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की। हालांकि, इस पत्र को भेजे एक सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन हरियाणा SEC की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हो रहा है वीवीपैट का उपयोग
गौरतलब है कि 2019 के 17वें लोकसभा आम चुनाव से लेकर अब तक भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा देशभर में प्रत्येक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपैट का उपयोग किया जा रहा है।
SEC हरियाणा ने 2022 में जताई थी असमर्थता
जून 2022 में, जब हेमंत कुमार ने हरियाणा में होने वाले 46 नगर निकायों के चुनावों में ईवीएम-वीवीपैट के उपयोग का मुद्दा उठाया था, तब राज्य चुनाव आयोग ने अपनी असमर्थता जताई थी।
उस समय SEC हरियाणा ने बताया था कि चुनाव आयोग की नीति के अनुसार, वह M-3 संस्करण ईवीएम (जो वीवीपैट के अनुकूल हैं) राज्य चुनाव आयोग को स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उपलब्ध नहीं कराता। इसके बजाय, ECI केवल M-2 संस्करण की पुरानी ईवीएम उपलब्ध कराता है, जो वीवीपैट से नहीं जोड़ी जा सकती।
इसके अलावा, SEC हरियाणा ने यह भी कहा था कि M-3 ईवीएम और वीवीपैट की डिजाइन को लेकर तकनीकी मूल्यांकन समिति (TEC) में विचार चल रहा था और जब तक इस डिजाइन को मंजूरी नहीं मिल जाती और आवश्यक संख्या में मशीनें खरीद नहीं ली जातीं, तब तक SEC हरियाणा नगर निकाय चुनावों में वीवीपैट का उपयोग नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन जरूरी
अधिवक्ता हेमंत कुमार ने जोर देकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2013 में दिए गए अपने फैसले (डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत निर्वाचन आयोग) में यह स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि ईवीएम में पेपर ट्रेल प्रणाली का समावेश और कार्यान्वयन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए अनिवार्य है।
हरियाणा सरकार ने अब तक नियमों में बदलाव नहीं किया
हेमंत कुमार ने यह भी खुलासा किया कि हरियाणा सरकार ने अब तक हरियाणा नगर निकाय चुनाव नियम, 1978 और हरियाणा नगर निगम चुनाव नियम, 1994 में वीवीपैट प्रणाली को शामिल नहीं किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को 11 साल से अधिक हो चुके हैं।
हालांकि, SEC हरियाणा, जो संविधान के अनुच्छेद 243-K और 243-ZA के तहत एक संवैधानिक निकाय है, अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए एक आदेश जारी कर सकता है और नगर निकाय चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपैट के उपयोग को अनिवार्य कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि SEC हरियाणा, जो कि ECI की तरह ही एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, स्वयं भी नवीनतम M-3 संस्करण की ईवीएम और वीवीपैट मशीनें उन्हीं सार्वजनिक उपक्रमों से खरीद सकता है, जहां से भारत निर्वाचन आयोग इन्हें खरीदता है।
क्या SEC हरियाणा अब कोई कदम उठाएगा?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा राज्य चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में ईवीएम के साथ वीवीपैट के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस निर्णय लेता है या नहीं।