भाजपा सरकार के प्रति उदासीनता या लोकतंत्र में अविश्वास? विद्रोही

चंडीगढ़, रेवाड़ी – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा नगर निकाय चुनावों में अपेक्षा से कम मतदान को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इसे मतदाताओं की भाजपा सरकार के प्रति उदासीनता का परिणाम बताया। विद्रोही ने कहा कि पिछले दस वर्षों में सरकार ने शहरी नागरिक सुविधाओं के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया, जिससे लोगों को मतदान का कोई औचित्य नहीं दिखा।
तटस्थ मतदाता की हताशा
विद्रोही का मानना है कि तटस्थ मतदाता यह मान चुका है कि भाजपा के खिलाफ मतदान करने के बावजूद सरकार सत्ता, धन-बल और जांच एजेंसियों के दुरुपयोग से निर्वाचित पार्षदों, मेयरों और चेयरमैनों को पार्टी में शामिल होने के लिए मजबूर कर देगी। इससे लोकतंत्र में मतदाताओं की बढ़ती अनास्था जाहिर होती है, जो स्वस्थ लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरा बन सकती है।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी
चुनावों में धांधली की शंकाएं, निर्वाचन अधिकारियों पर उठते सवाल और सत्ता दुरुपयोग से होने वाले दलबदल के कारण मतदाताओं का एक वर्ग हताशा में यह मान चुका है कि जनादेश का हरण तय है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन रही है, जिसका समाधान आवश्यक है।
चुनाव आयोग को पूरी तरह स्वतंत्र बनाने की जरूरत
विद्रोही ने कहा कि मतदान के प्रति मतदाताओं में विश्वास तभी बढ़ेगा जब चुनाव आयोग को पूरी तरह निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाया जाएगा। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता को अनिवार्य बताया। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि चुनाव से जुड़े अधिकारी किसी भी तरह से मतदान को प्रभावित न कर सकें।
दलबदल कानून में कठोर सुधार जरूरी
विद्रोही ने दलबदल कानून में संशोधन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जो भी जनप्रतिनिधि दलबदल करेगा, उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दलबदल करने वाले किसी भी जनप्रतिनिधि को एक क्षण के लिए भी पद पर बने रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए। इसके लिए संविधान में स्पष्ट कानूनी प्रावधान करना अनिवार्य है।
लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक सुधार
लोकतंत्र तभी जीवंत रह सकता है जब राजनीतिक दल, व्यवस्था और न्यायालय जनादेश का अक्षरशः सम्मान करें। विद्रोही ने कहा कि जब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जाता, तब तक मतदाता लोकतंत्र और मतदान प्रक्रिया में विश्वास नहीं जता पाएंगे। इसलिए, जनादेश की पवित्रता बनाए रखना और दलबदल व चुनावी धांधली को रोकने के लिए कठोर कदम उठाना समय की मांग है।