
चंडीगढ़, गुरुग्राम, रेवाड़ी 5 मार्च 2025 – स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री से कड़े सवाल किए हैं। उन्होंने पूछा कि जब हरियाणा बजट 2025 को विधानसभा में प्रस्तुत करने से एक सप्ताह पूर्व ही विधायकों से सुझाव मांगे जा रहे हैं, तो इसका औचित्य क्या है?
विद्रोही ने कहा कि जब बजट को अंतिम रूप दिया जा चुका है, तब सुझावों के नाम पर बैठकों का आयोजन करना और इसे मीडिया इवेंट बनाना केवल दिखावा है। मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक इस तरह की गतिविधियों के माध्यम से स्वयं को जनहितैषी साबित करने का प्रयास कर सकते हैं, लेकिन क्या वास्तव में पहले से निर्धारित बजट में इन सुझावों के आधार पर कोई बदलाव संभव है? यदि सरकार वास्तव में विधायकों की राय के आधार पर बजट तैयार करना चाहती थी, तो यह प्रक्रिया 15 फरवरी तक पूरी की जा सकती थी ताकि इन सुझावों को बजट में समुचित रूप से शामिल किया जा सके। लेकिन बजट पेश करने से ठीक सात दिन पूर्व इस प्रकार की बैठकें केवल मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए आयोजित की जा रही हैं।
अहीरवाल के विधायकों की भूमिका पर सवाल
विद्रोही ने अहीरवाल के विधायकों पर भी निशाना साधा और कहा कि वे अपने दिए गए सुझावों को मीडिया में प्रचारित करके स्वयं को जनहितैषी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि वे भली-भांति जानते हैं कि उनके अंतिम समय में दिए गए सुझावों में से गिने-चुने ही बजट में शामिल किए जाएंगे। ऐसी स्थिति में, यदि अहीरवाल के विधायक मीडिया प्रचार में व्यस्त रहने के बजाय क्षेत्र की दस वर्षों से अटकी पड़ी विकास परियोजनाओं के लिए ठोस बजट प्रावधान सुनिश्चित करवाने में ईमानदारी से प्रयास करते, तो निश्चित रूप से क्षेत्र के विकास को गति मिल सकती थी।
सस्ती लोकप्रियता बनाम वास्तविक विकास
विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल के विधायकों ने अधूरी पड़ी विकास परियोजनाओं को पूरा करवाने में गंभीरता दिखाने के बजाय, केवल विकास के नाम पर सुझाव देने का रास्ता अपनाकर सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश की है। लेकिन इस तरह की राजनीति से अहीरवाल के विकास को कोई गति नहीं मिलने वाली। यदि विधायक वास्तव में अपने क्षेत्र के प्रति गंभीर होते, तो वे बजट में ठोस प्रावधान करवाने के लिए ठोस प्रयास करते, न कि केवल बयानबाजी और मीडिया इवेंट के जरिए सुर्खियां बटोरने का काम करते।
निष्कर्ष
हरियाणा बजट 2025 के संदर्भ में उठाए गए ये सवाल गंभीर हैं। सरकार को चाहिए कि वह दिखावटी बैठकों की बजाय वास्तविक सुझावों को समय पर लेकर उन्हें बजट का हिस्सा बनाए। वहीं, विधायकों को भी सस्ती लोकप्रियता से ऊपर उठकर अपने क्षेत्र की वास्तविक जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि विकास कार्यों को गति मिल सके।