गुरुग्राम ॥ आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष एवं श्री माता शीतला देवी श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य, प्रख्यात कथावाचक पंडित अमरचंद भारद्वाज ने बताया कि होलाष्टक, यानी होलिका दहन से आठ दिन पहले शुरू होने वाली विशेष अवधि में कौन-कौन से कार्य करने से धन लाभ प्राप्त हो सकता है और किन कार्यों से बचना चाहिए।

होलाष्टक का महत्व और इसकी पौराणिक कथा

फाल्गुन मास के आगमन के साथ ही होली का उल्लासमय माहौल बनने लगता है। लेकिन रंगों के इस महापर्व से ठीक आठ दिन पूर्व एक विशेष अवधि आती है, जिसे होलाष्टक कहा जाता है। इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च 2025 (गुरुवार) को होगा, जबकि रंगों की होली 14 मार्च 2025 (शुक्रवार) को मनाई जाएगी। होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च 2025 (गुरुवार) से होगी और इसका समापन होलिका दहन के दिन होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा से भरी मानी जाती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षसराज हिरण्यकश्यप स्वयं को ईश्वर मानता था और अपने विष्णु भक्त पुत्र प्रह्लाद को भयंकर यातनाएँ देकर उसे अपने अधीन करना चाहता था। उसने लगातार आठ दिनों तक प्रह्लाद को कष्ट पहुँचाया। यही आठ दिन होलाष्टक के रूप में जाने जाते हैं। इस अवधि में ग्रहों की स्थिति भी उग्र और नकारात्मक मानी जाती है।

होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति

इन आठ दिनों के दौरान हर दिन एक-एक ग्रह की क्रूर स्थिति मानी जाती है:

  • अष्टमी (7 मार्च) – चंद्रमा
  • नवमी (8 मार्च) – सूर्य
  • दशमी (9 मार्च) – शनि
  • एकादशी (10 मार्च) – शुक्र
  • द्वादशी (11 मार्च) – बृहस्पति
  • त्रयोदशी (12 मार्च) – बुध
  • चतुर्दशी (13 मार्च) – मंगल
  • पूर्णिमा (13 मार्च) – राहु

होलाष्टक के दौरान वर्जित कार्य

पंडित अमरचंद भारद्वाज के अनुसार, इस दौरान निम्नलिखित कार्य नहीं करने चाहिए:
✔️ विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण, जनेऊ संस्कार, मुंडन
✔️ नया व्यवसाय या कोई बड़ा सौदा शुरू करना
✔️ भवन निर्माण या संपत्ति की खरीद
✔️ यज्ञ, हवन एवं अन्य शुभ अनुष्ठान

होलाष्टक के दौरान धन लाभ और शुभ कार्य

हालाँकि इस अवधि में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन कुछ विशेष उपाय करने से आर्थिक समृद्धि और शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं:
???? भगवान विष्णु, नरसिंह भगवान एवं हनुमान जी की पूजा करें।
???? लक्ष्मी प्राप्ति के लिए श्रीसूक्त का पाठ करें।
???? इन आठ दिनों तक महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
???? दान-पुण्य करें, विशेषकर अन्न, वस्त्र एवं जरूरतमंदों की सहायता करें।

निष्कर्ष

होलाष्टक एक धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण समय है, जिसमें विशेष सतर्कता और आध्यात्मिक उपाय अपनाने से नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस दौरान शुभ कार्यों से परहेज रखना चाहिए, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान और दान-पुण्य करने से लाभ की प्राप्ति हो सकती है।

(यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। व्यक्ति अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार इनका पालन कर सकते हैं।)

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