निर्दलीय मेयर प्रत्याशी डॉ. इंद्रजीत की याचिका पर सुनवाई, मतगणना की होगी वीडियोग्राफी

गुरुग्राम, 7 मार्च (अशोक): मानेसर नगर निगम के मेयर चुनाव में निष्पक्षता को लेकर उठे सवालों के बीच, निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. इंद्रजीत द्वारा दायर याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आगामी 12 मार्च को होने वाली मतगणना की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

ईवीएम में वीवीपैट की अनुपस्थिति पर सवाल

डॉ. इंद्रजीत ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राज्य चुनाव आयोग ने एम2 प्रकार की पुरानी ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया, जिनमें वीवीपैट (VVPAT) प्रणाली मौजूद नहीं थी। इससे मतदाताओं को यह जानने का कोई तरीका नहीं था कि उनका वोट वास्तव में उनके इच्छित उम्मीदवार को गया है या नहीं। उन्होंने तर्क दिया कि इस तकनीकी खामी के कारण मतों की हेराफेरी की आशंका बढ़ जाती है और चुनाव की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है।

कैबिनेट मंत्री के बयान को बनाया आधार

डॉ. इंद्रजीत ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री राव नरवीर सिंह द्वारा दिए गए विवादित बयान को भी अपनी याचिका का आधार बनाया है। याचिका में उन्होंने दावा किया कि राव नरवीर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार सुंदरलाल यादव के समर्थन में प्रचार करते हुए सार्वजनिक मंच से कहा था कि “चाहे वोट किसी को भी मिले, जीत भाजपा उम्मीदवार की ही होगी।” इस बयान को चुनावी धांधली का संकेत बताते हुए, डॉ. इंद्रजीत ने इस संबंध में वीडियो रिकॉर्डिंग और समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया।

हाईकोर्ट का सख्त रुख

उच्च न्यायालय ने इस मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए आदेश दिया है कि ईवीएम मशीनों की सील खोलने से लेकर मतगणना पूरी होने तक की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाए। यह कार्य जिला निर्वाचन अधिकारी और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की उपस्थिति में किया जाएगा। इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है, और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं।

चुनावी प्रक्रिया पर बढ़ी निगरानी

उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद अब मानेसर नगर निगम चुनाव की मतगणना पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर विपक्ष पहले ही हमलावर था, और अब इस नए घटनाक्रम से भाजपा उम्मीदवार और राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं

अब देखना यह होगा कि मतगणना के बाद क्या नए विवाद जन्म लेते हैं, या फिर उच्च न्यायालय के आदेश से निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित हो पाएगी।

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