गुड़गांव, 8 मार्च – विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर, ईएनटी एसोसिएशन गुड़गांव ने एओआई हरियाणा के सहयोग से गुड़गांव ट्रैफिक पुलिस मुख्यालय (सुशांत लोक) में एक ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को शोर प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों और श्रवण सुरक्षा के प्रति जागरूक करना था।
ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर विशेषज्ञों की राय

कार्यक्रम में नेशनल इनिशिएटिव फॉर सेफ साउंड की संयोजक डॉ. सारिका वर्मा ने हॉर्न के अत्यधिक उपयोग और लंबे समय तक हेडफोन के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा,
“जब दुनिया भर में लोग बिना हॉर्न बजाए गाड़ी चला सकते हैं, तो हम क्यों नहीं?”
इसके अलावा, डॉ. भूषण पाटिल (सचिव, एओआई हरियाणा), डॉ. विशाल कपूर (अध्यक्ष, एओआई गुरुग्राम), डॉ. प्रशांत भारद्वाज (सचिव, एओआई गुरुग्राम), डॉ. एनपीएस वर्मा (वरिष्ठ ईएनटी सर्जन) और डॉ. आशा बलूजा ने भी श्रवण संरक्षण और सुरक्षित ध्वनि प्रथाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
शोर प्रदूषण और इसके गंभीर परिणाम
भारत के प्रमुख शहर दुनिया के सबसे शोरगुल वाले शहरों में शामिल हैं।
शोर प्रदूषण के कारण होने वाली प्रमुख समस्याएं:
- बहरापन (हियरिंग लॉस)
- टिनिटस (कानों में लगातार आवाज़ आना)
- चिंता और अवसाद
- हृदय संबंधी समस्याएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार,
- दिन में 55 डीबी और रात में 40 डीबी से अधिक शोर नहीं होना चाहिए।
- भारतीय बाजारों और सड़कों पर 100 डीबी से अधिक का शोर पाया जाता है, जो मानक से 1000 गुना अधिक है।
- इस कारण 50% से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को सुनने में दिक्कत होती है।
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के लिए निःशुल्क श्रवण परीक्षण
कार्यक्रम के दौरान, 112 ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का निःशुल्क श्रवण परीक्षण किया गया। यह परीक्षण हियरक्लियर, ऑडियोस्पीच और मीनाक्षी हियरिंग एड कंपनियों के ऑडियोलॉजिस्ट्स द्वारा किया गया।
ट्रैफिक पुलिस जैसे हाई-रिस्क प्रोफेशन से जुड़े लोगों को नियमित श्रवण परीक्षण करवाने की सलाह दी गई।
हॉर्न बजाने से कोई फायदा नहीं!
डीसीपी ट्रैफिक श्री विज की सहायता से, 2000 से अधिक ऑटो बैनर लगाए गए, जिनमें यह संदेश दिया गया कि “हॉर्न बजाने से कोई फायदा नहीं!”
डॉ. विशाल कपूर ने इस पहल के लिए गुड़गांव ट्रैफिक पुलिस और जनता का आभार व्यक्त किया।
उद्देश्य और संदेश
इस जागरूकता अभियान का उद्देश्य शोर के कारण होने वाली श्रवण हानि के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उच्च शोर स्तर के संपर्क में आने वाले लोगों को श्रवण स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना था।
“शोर पर नियंत्रण रखें, श्रवण शक्ति बचाएं!”