
9 मार्च 2025, गुजरात: कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी के भीतर मौजूद वे नेता और कार्यकर्ता जो भाजपा से मिले हुए हैं, उन्हें चिन्हित कर कांग्रेस से बाहर निकालना आवश्यक है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने राहुल गांधी के इस बयान का जोरदार समर्थन किया और सवाल उठाया कि ऐसे अवसरवादी और गुटबाज नेताओं को कांग्रेस से निकालने में इतनी देरी क्यों हो रही है?
विद्रोही ने कहा कि यह एक कटु सत्य है कि कांग्रेस के भीतर ही मौजूद गुटबाज, स्वार्थी और अवसरवादी नेता पार्टी को जितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, उतना नुकसान भाजपा भी सत्ता का दुरुपयोग करके नहीं कर पा रही। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हर राज्य में ऐसे नेताओं की पहचान होने के बावजूद पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के बजाय उनके स्वयं पार्टी छोड़ने का इंतजार करती रहती है। यही कारण है कि एक अवसरवादी नेता पार्टी छोड़ता है तो उसकी जगह नए गिरगिट राजनीति में प्रवेश कर जाते हैं।
विद्रोही ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को अनुशासनहीन, गुटबाज और स्वार्थी नेताओं के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। तभी पार्टी मोदी-भाजपा-संघ की सांप्रदायिक राजनीति, नफरत और विभाजनकारी नीतियों का प्रभावी विरोध कर सकेगी और अपना पुराना गौरव पुनः प्राप्त कर पाएगी।
विद्रोही ने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि स्वार्थी और गुटबाज नेताओं की राजनीति के कारण ही कांग्रेस 2024 के विधानसभा चुनाव में जीती बाजी हार गई। पिछले 11-12 वर्षों से हरियाणा कांग्रेस का संगठन ही नहीं बन पाया, जिसका पूरा दायित्व कांग्रेस नेतृत्व पर आता है। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस नेतृत्व ने आखिर इतने वर्षों तक हरियाणा में संगठन का गठन क्यों नहीं किया? किन नेताओं के दबाव में आकर कांग्रेस का आधार कमजोर किया गया?
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2022 के राज्यसभा चुनाव में एक कांग्रेस विधायक ने जानबूझकर अपनी वोट रद्द करवा दी, जिससे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, कांग्रेस नेतृत्व ने उस विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। वह विधायक तब तक कांग्रेस का हिस्सा बनी रही जब तक उसने खुद पार्टी छोड़कर भाजपा जॉइन नहीं कर ली। विद्रोही ने कहा कि इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है?
उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व से अपील की कि अब कथनी और करनी में समानता लानी होगी। जब तक कांग्रेस नेतृत्व गुटबाज, अनुशासनहीन और निजी स्वार्थों की राजनीति करने वाले नेताओं पर सख्त कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक पार्टी भाजपा-संघ के फासीवाद का प्रभावी मुकाबला नहीं कर पाएगी और न ही चुनावी सफलता प्राप्त कर सकेगी।