रिटायर्ड आई.ए.एस., आई.पी.एस., एच.सी.एस., शिक्षाविद, वकील, वरिष्ठ पत्रकार आदि बुद्धिजीवी वर्गों से होगी नियुक्ति – एडवोकेट
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर भी होगी नियुक्ति, मुख्य सचिव या डी.जी.पी. रैंक के रिटायर्ड अधिकारी की दावेदारी मजबूत

चंडीगढ़- हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव संगठन के सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत पड़ने वाली प्रशासनिक सुधार शाखा द्वारा हाल ही में 4 मार्च को हरियाणा राज्य सूचना आयोग, जो सूचना का अधिकार (आर.टी.आई.) कानून, 2005 के प्रावधानों के अंतर्गत गठित किया गया है, में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त (स्टेट चीफ इनफार्मेशन कमिश्नर) के एक पद और राज्य सूचना आयुक्तों (स्टेट इनफॉर्मेशन कमिश्नर) के सात (7) पदों के लिए योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित किये गए हैं जिसके लिए इच्छुक उम्मीदवार आगामी 21 मार्च तक आवेदन कर सकते है.
इसी माह दो सप्ताह बाद 24 मार्च 2025 को वर्तमान राज्य मुख्य सूचना आयुक्त विजय वर्धन, रिटायर्ड आईएएस, जो प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव भी रहे थे, और एक अन्य सूचना आयुक्त डॉ. एस.एस. फुलिया, रिटायर्ड आईएएस दोनों का तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा हो जाएगा. इनके अतिरिक्त सूचना आयुक्त के अन्य छ: (6) पद पहले से रिक्त हैं.
वर्तमान में फुलिया के अतिरिक्त आयोग में तीन अन्य सूचना आयुक्त नामत: डॉ. कुलबीर छिकारा, प्रदीप कुमार शेखावत और डॉ. जगबीर सिंह हैं जिन तीनों की नियुक्ति अप्रैल,2023 में की गई थी. इनमें से छिकारा और जगबीर का कार्यकाल तो अगले वर्ष अप्रैल,2026 तक है जबकि शेखावत का कार्यकाल इसी वर्ष अक्टूबर,2025 में पूरा हो जायेगा.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और आर.टी.आई. कानून के जानकार हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया कि इस प्रकार हरियाणा सूचना आयोग में आगामी 24 मार्च को रिक्त होने वाले राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त के एक पद के अतिरिक्त आयोग में सूचना आयुक्तों के अधिकतम 6 अन्य पद भरे जाने हैं. अप्रैल, 2023 के बाद हरियाणा सरकार द्वारा सूचना आयोग में एक भी रिक्त पद को भरने की कवायद आरम्भ नहीं की गयी. आर.टी.आई. कानून के अनुसार राज्य सूचना आयोग में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा अधिकतम 10 सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जा सकती है.
उन्होंने बताया कि मौजूदा कानूनी प्रावधानों अनुसार सूचना आयुक्त का कार्यकाल पदभार संभालने से तीन वर्ष या उसकी आयु 65 वर्ष होने तक, जो भी पहले हो, तक होता है. हालांकि 24 अक्टूबर 2019 से पहले, अर्थात संसद द्वारा आर.टी.आई. कानून में किये गये संशोधन के लागू होने से पूर्व, इस कार्यकाल की समय अवधि तीन वर्ष की बजाय पांच वर्ष होती थी.
बहरहाल, हेमंत ने आगे बताया कि आर.टी.आई. कानून, 2005 के अनुसार मौजूदा तौर पर राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त दोनों पदों का वेतन सवा दो लाख रुपये प्रतिमाह है. कानून में उक्त पदों की योग्यता के बारे में उल्लेख है कि वह विधि (कानून), विज्ञान-प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम, प्रशासन और शासन में व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले समाज के प्रख्यात व्यक्ति होंगे. इस प्रकार सूचना आयुक्तों के पदों पर रिटायर्ड आई.ए.एस., आई.पी.एस., एच.सी.एस., शिक्षाविद, वकील, वरिष्ठ पत्रकार आदि बुद्धिजीवी वर्गों से नियुक्ति होगी. हालांकि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर मुख्य सचिव अथवा डी.जी.पी.(पुलिस महानिदेशक) रैंक के सेवानिवृत अधिकारी की मजबूत दावेदारी बनती है.
राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के प्रक्रिया के सम्बन्ध में हेमंत ने बताया कि सर्वप्रथम प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की सर्च कमेटी जितने भी इन पदों के लिए आवेदन प्राप्त होते हैं उनमें से जितने रिक्त पदों को भरा जाना है, उससे तीन गुना नामों को शॉर्टलिस्ट करती है. इस प्रकार 21 मार्च के बाद राज्य मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए तीन नाम और सूचना आयुक्तों के सात पदों के लिए इक्कीस (21) नाम शार्टलिस्ट किये जायेंगे.
हेमंत ने बताया कि सर्च कमेटी द्वारा शॉर्टलिस्ट किये गए पैनल में से प्रदेश के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय वैधानिक कमेटी जिसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश का एक कैबिनेट मंत्री, जिसे मुख्यमंत्री नामित करेंगे, भी शामिल होता है, यह कमेटी सूचना आयोग के पदों पर फाइनल चयन करती है. कानूनन नेता प्रतिपक्ष का उक्त कमेटी में होना अनिवार्य है, उसकी अनुपस्थिति में फाइनल चयन नहीं हो सकता.