
चंडीगढ़, रेवाड़ी, 13 मार्च 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा नगर निकाय चुनावों में भाजपा की शानदार जीत पर शुभकामनाएं दी हैं। भाजपा ने 9 नगर निकायों में मेयर, 5 नगर परिषदों और 8 नगरपालिकाओं के चेयरमैन पदों पर जीत दर्ज की। वहीं, कांग्रेस की हार पर चिंता जताते हुए विद्रोही ने हरियाणा कांग्रेस नेतृत्व को गहन आत्ममंथन कर तुरंत करेक्टिव मेजर्स (सुधारात्मक कदम) उठाने की सलाह दी।
विद्रोही ने कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जीत के करीब पहुंचकर भी पिछड़ गई थी। नगर निकाय चुनावों में यह एक महत्वपूर्ण अवसर था, जब कांग्रेस मजबूत दावेदारी पेश कर भाजपा की बढ़त को रोक सकती थी। लेकिन इसके बजाय, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज़मीन पर सक्रिय होने की बजाय केवल मीडिया में बयानबाजी करते रहे और पूरा चुनाव स्थानीय कार्यकर्ताओं के भरोसे छोड़ दिया। नतीजतन, कांग्रेस कार्यकर्ताओं में वह जोश और एकजुटता नहीं दिखी, जो भाजपा कार्यकर्ताओं में थी। कांग्रेस का यह आधे-अधूरे मन से किया गया चुनावी प्रयास पहले से तय नतीजे लेकर आया।
हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व संकट और असमंजसता
विद्रोही ने कांग्रेस नेतृत्व की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी पार्टी ने अब तक हरियाणा में कोई ठोस सुधारात्मक कदम नहीं उठाया। कांग्रेस हाईकमान की ढुलमुल नीति के कारण निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल बना रहा। उन्होंने कहा कि लगातार बैठकों के बावजूद कोई निर्णायक फैसला नहीं लिया जा रहा है, जिससे पार्टी में असमंजस और दिशाहीनता बढ़ती जा रही है।
“हरियाणा में कांग्रेस इस समय बिना कप्तान और बिना संगठन वाली नाव की तरह है, जो समुद्र में लहरों के थपेड़े खाकर दिशाहीन होकर बह रही है,” विद्रोही ने कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कांग्रेस नेतृत्व ने तुरंत सुधारात्मक कदम नहीं उठाए, तो पार्टी की स्थिति और खराब हो सकती है।
तत्काल संगठनात्मक सुधार की जरूरत
विद्रोही ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को जल्द से जल्द प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्तियां पूरी करनी चाहिए। पार्टी संगठन को सक्रिय कर भाजपा-संघ सरकार की “तानाशाही और जनविरोधी नीतियों” के खिलाफ संघर्ष करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को आगे लाना होगा।
हरियाणा कांग्रेस को अपनी आंतरिक गुटबाजी छोड़कर एकजुट होकर ज़मीनी स्तर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज करानी होगी, तभी वह आगामी राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर पाएगी।