चंद्रग्रहण काल में कोई खास संकट नहीं फिर भी संतान की रक्षा के लिए सतर्क रहें गर्भवती महिलाएं: कथावाचक पं. अमर चन्द भारद्वाज

गुरुग्राम: आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष एवं श्री माता शीतला देवी श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य कथावाचक पं. अमर चन्द भारद्वाज ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक शीध में आ जाते हैं। तो इस स्थिति में सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है क्योंकि पृथ्वी अपनी छाया से चंद्रमा को ढक देती है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ जाता है, तो इसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहते हैं। जब चंद्रमा आंशिक रूप से ढकता है, तो उसे आंशिक अथवा उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं। लैकिन जब धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो राहु-केतु माने जाते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है। भारतीय समयानुसार दिन में 10:39 से दोपहर 2:18 तक विदेशों में खग्रास चंद्र ग्रहण पड़ेगा। भारतीय समय के अनुसार इसका विरल छाया प्रवेश सुबह 09:27 पर होगा। ग्रहण का स्पर्श दिवा काल 10:40 पर होगा। ग्रहण का मध्य दिवा काल 12:29 पर होगा, ग्रहण का मोक्ष दिवा काल दोपहर बाद 2:30 पर एवं विरल छाया निर्गम दोपहर बाद 3:30 बजे पर होगा।

कथावाचक पं. अमर चन्द भारद्वाज ने बताया कि ऑशिक चंद्र ग्रहण का भारत में कोई सूतक पातक मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, उनको ग्रहण लगने के दौरान सोना नहीं चाहिए और ना ही खाना खाना चाहिए और ना ही धार धार वस्तु जैसे कि चाकू अथवा नुकीली चीज से काट पीट नहीं करना चाहिए। ऑशिक चंद्रग्रहण पेसिफिक सागर, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, ग्रीनलैंड, पनामा, पेरू, उरुग्वे, ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, पश्चिमी यूरोप, पश्चिम में आयरलैंड, ब्रिटेन, नॉर्वे, स्वीडन, पश्चिमी पोलैंड, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, इटली, अफ्रीका, मोरक्को, अल्जीरिया, घाना, नाइजीरिया, लीबिया, उत्तरी अटलांटिक सागर व दक्षिणी अटलांटिक सागर, पूर्वी रूस में देखा जा सकेगा ।

कथावाचक पं. अमर चन्द भारद्वाज ने कहा कि इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य भी मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं, जिससे 100 साल बाद सूर्य गोचर और चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। इस खगोलीय घटना का प्रभाव ज्योतिषीय दृष्टि से 3 राशियों पर खास पड़ेगा, वृषभ राशि* राशि वालों व्यापार में कई गुना अधिक मुनाफा हो सकता है। वे अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर पाएंगे । मिथुन राशि : राशि वाले आर्थिक और पेशेवर जीवन में उन्नति का हो सकता है। समाज में मान-सम्मान भी बढ़ेगा।

कर्क राशि : राशि वालों अचानक से धन की प्राप्ति हो सकती है। कोई रुक हुआ पैसा वापस मिल सकता है।

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