चंडीगढ़, गुरुग्राम, रेवाड़ी, 4 अप्रैल 2025: स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव 2024 में वोट हड़पने के लिए गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वालों की संख्या को जान-बूझकर बढ़ाया। इसके बाद चुनाव समाप्त होते ही अब सरकार बीपीएल परिवारों की संख्या सीमित करने की योजना पर काम कर रही है।

वोट बैंक राजनीति का आरोप

वेदप्रकाश विद्रोही का कहना है कि भाजपा सरकार ने सुनियोजित रणनीति के तहत पहले गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या बढ़ाई और उन्हें सरकारी सुविधाओं का प्रलोभन देकर वोट बटोरे। चुनाव खत्म होते ही अब सरकार उन परिवारों को बीपीएल सूची से हटाने का प्रयास कर रही है, जिन्होंने संयुक्त परिवार पहचान पत्र के बाद अलग से पहचान पत्र बनवाया।

बीपीएल सूची से हटाए गए परिवार

सरकार ने सबसे पहले राज्यभर के 1609 परिवारों को बीपीएल सूची से बाहर किया है। इनमें रेवाड़ी जिले के 39 परिवार भी शामिल हैं। विद्रोही ने आरोप लगाया कि अब सरकार बीपीएल राशनकार्ड धारकों को धमका रही है कि यदि वे अपना नाम सूची से वापस नहीं लेते, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल

विद्रोही का कहना है कि यदि भाजपा सरकार के कर्मचारियों ने लोगों की आय का गलत मूल्यांकन कर उन्हें बीपीएल सूची में शामिल किया, तो इसकी जिम्मेदारी उन्हीं अधिकारियों और कर्मचारियों की बनती है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार को पहले से ही बीपीएल सूची में अनावश्यक वृद्धि का पता था, तो उस पर समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

आंकड़ों में बढ़ोतरी का विवाद

वर्ष 2021 में हरियाणा में 11 लाख से अधिक परिवार बीपीएल श्रेणी में थे, जो 2022-23 में दोगुने से अधिक बढ़कर 26 लाख से अधिक हो गए। विधानसभा चुनाव के दौरान यह संख्या 51 लाख से पार कर गई। विद्रोही ने इन आंकड़ों को प्रमाणित करते हुए कहा कि सरकार ने वोट हड़पने के लिए बीपीएल सूची में जान-बूझकर वृद्धि की और अब आर्थिक बोझ का हवाला देकर सूची में कटौती कर रही है।

भाजपा पर कड़ी आलोचना

वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा को ‘ठग और षडयंत्रकारी’ पार्टी करार देते हुए कहा कि सरकार ने वोट हासिल करने के लिए बीपीएल सूची को जान-बूझकर बढ़ाया और अब दोष मढ़कर नागरिकों को प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार इस मुद्दे पर पारदर्शिता से कार्य करे और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।

निष्कर्ष

हरियाणा में बीपीएल सूची विवाद ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। सरकार के इस कदम पर नागरिकों और स्वयंसेवी संगठनों में रोष बढ़ता जा रहा है। देखना होगा कि सरकार इन आरोपों पर क्या सफाई देती है।

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