कहा – कमीशनखोरी के खेल में दब रहा है आम आदमी, शिक्षा बनी व्यापार का अड्डा
चंडीगढ़, 05 अप्रैल। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों की खुली लूट पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही निजी स्कूल संचालकों ने एक बार फिर मनमानी की सारी हदें पार कर दी हैं। अभिभावकों की जेबें खाली की जा रही हैं और सरकार तमाशबीन बनी बैठी है — जैसे मानो लूट की खुली छूट दे रखी हो।
“अगर सरकार ने सरकारी स्कूलों की हालत सुधारी होती, तो आज कोई अभिभावक निजी स्कूलों की दया पर न होता,” सैलजा ने तीखे लहजे में कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों की मिलीभगत से एक बड़ा कमीशन का खेल चल रहा है, जिसमें बच्चों के भविष्य के सपने देखने वाले अभिभावक सबसे ज़्यादा पिस रहे हैं।
कॉपी-किताब से लेकर यूनिफॉर्म तक… हर चीज़ में लूट
कुमारी सैलजा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जैसे ही एडमिशन शुरू होता है, निजी स्कूल प्रबंधन अभिभावकों को महंगे स्टेशनरी और यूनिफॉर्म की खरीदारी के लिए कुछ खास दुकानों तक सीमित कर देता है। नर्सरी से आठवीं कक्षा तक के लिए कॉपी-किताबों का खर्च 3,000 से 7,800 रुपये तक जा पहुंचा है।
“पहले तो पर्ची पर दुकान का नाम लिखा जाता था, अब सिर्फ मौखिक इशारा होता है। दुकानदार को स्कूल का नाम और कक्षा बताओ, पूरा सेट तैयार मिल जाता है। ये कैसा खेल है?” उन्होंने सवाल उठाया।
किताबों की कीमतों में 400% तक बढ़ोतरी, कमीशन की चाबी से चलती है किताब
सैलजा ने बताया कि निजी स्कूल पब्लिशर्स से सांठगांठ कर 100 रुपये की किताब पर 500 रुपये छपवाते हैं। इसमें 30% कमीशन स्कूल को, 20% बुकसेलर को और बाकी मार्केटिंग और मुनाफे में बांट दिया जाता है। इतना ही नहीं, हर साल किताबों में एक-दो अध्याय बदलवा दिए जाते हैं ताकि पुरानी किताबें किसी काम की न रहें।
“एनसीईआरटी की किताबों में कोई कमीशन नहीं मिलता, इसलिए स्कूल प्रबंधन उन्हें नकार देता है,” सैलजा ने दो-टूक कहा।
मनोवैज्ञानिक दबाव और ‘डर’ का इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि स्कूल छोटे बच्चों के अभिभावकों पर ज्यादा दबाव बनाते हैं। “जितनी छोटी कक्षा, उतनी महंगी किताबें। यह पूरी तरह से एक मनोवैज्ञानिक खेल है – ‘बच्चे का भविष्य’ दिखाकर जेब पर डाका डाला जाता है,” उन्होंने कहा।
सरकार से की सख्त कार्रवाई की मांग
सैलजा ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे तंत्र पर कड़ा शिकंजा कसा जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सुधारी जाए, तो आम अभिभावक मजबूरी में निजी स्कूलों की लूट का शिकार नहीं बनेगा।
“शिक्षा को व्यवसाय नहीं, अधिकार बनाया जाए — यही इस देश के भविष्य के लिए ज़रूरी है,” सैलजा ने जोर देते हुए कहा।
अंबाला छावनी-पटियाला पैसेंजर का नरवाना तक विस्तार के लिए रेल मंत्री को लिखा पत्र

सांसद कुमारी सैलजा ने रेलमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि गाड़ी संख्या -54557/54558 अंबाला छावनी-पटियाला पैसेंजर जो पटियाला में 10: 30 घंटे खड़ी रहती है फास्ट पैसेंजर के रुप में इस गाड़ी का विस्तार नरवाना तक वाया धूरी, जाखल, टोहाना किया जा सकता है। आजादी के बाद भी नरवाना का जुड़ाव पटियाला से नहीं हो सका है।
वर्तमान में नरवाना, संगरूर से एक भी गाड़ी पटियाला के लिए उपलब्ध नहीं है। जबकि नरवाना से हजारों की संख्या में लोग पटियाला आते जाते है। सीधी रेल सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण लोगों को अधिक किराया के साथ बसों में सफर करना पड़ता है। पटियाला के बाद इस गाड़ी के ठहराव नाबा, धुरी, संगरूर, सुनाम उधम सिंह वाला, लेहरागागा, जाखल, टोहाना, नरवाना रखे जाए। पटियाला नगरी आध्यात्मिक और धर्म का केंद्र भी है। पटियाला स्थित खेल अकादमी में नरवाना से खिलाड़ी ट्रेनिंग के लिए आते है। नरवाना से हजारों श्रद्धालु पटियाला स्थित ऐतिहासिक काली माता मंदिर में दर्शन करने जाते है।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि उन्हें विश्वास कि रेल मंत्री इस मांग के संबंध में उचित कार्यवाही करके पंजाब व हरियाणा क्षेत्र की जनता को 54557/54558 अंबाला-पटियाला रेल गाड़ी का नरवाना तक विस्तार की सौगात अवश्य देंगे।