दीपा शर्मा चंडीगढ़
5 अप्रैल 2025 – हरियाणा में राजस्व विभाग से जुड़ी एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रदेश सरकार ने दो नायब तहसीलदारों को बिना NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के संपत्ति की रजिस्ट्री करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। जांच के दौरान इन अधिकारियों द्वारा आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध न कराने से मामला और भी संदिग्ध हो गया, जिससे विभागीय हलकों में हड़कंप मचा हुआ है।
NOC की अनदेखी बना कार्रवाई की वजह
राज्य सरकार के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री से पहले संबंधित विभाग से NOC लेना अनिवार्य है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उस पर कोई कानूनी अड़चन या सरकारी दावा नहीं है। लेकिन निलंबित नायब तहसीलदारों ने इस प्रक्रिया की अवहेलना करते हुए सीधे रजिस्ट्री कर दी।
जांच के दौरान जब अधिकारियों से फाइलें और दस्तावेज मांगे गए, तो उन्होंने टालमटोल शुरू कर दी और सहयोग नहीं किया। इस रवैये ने न केवल प्रशासनिक संदेह बढ़ाया, बल्कि अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए।
44 तहसीलदार और नायब तहसीलदार जांच के घेरे में
इस घटना के बाद प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्यभर के 44 तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों को जांच के दायरे में ले लिया है। इन अधिकारियों के पिछले छह महीनों के कार्यों की गहन समीक्षा की जा रही है। प्रारंभिक जांच में कई स्थानों पर रजिस्ट्री के दौरान नियमों की अनदेखी की आशंका जताई गई है।
राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, “सरकार जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है। जहां भी गड़बड़ी मिलेगी, वहां सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को सस्पेंड करने के साथ-साथ कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी।”
नियमों की अनदेखी से आम जनता में बढ़ा रोष
इस घटनाक्रम ने आम नागरिकों के बीच भी चिंता बढ़ा दी है। लोगों का कहना है कि अगर सरकारी अधिकारी ही नियमों की अनदेखी करेंगे, तो जनता को न्याय कैसे मिलेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना केवल दो अधिकारियों की लापरवाही नहीं, बल्कि प्रणालीगत खामियों की ओर इशारा करती है। सरकार को चाहिए कि वह टेक्नोलॉजी आधारित ट्रैकिंग सिस्टम लागू करे, नियमित ऑडिट सुनिश्चित करे और दोषियों को सख्त सजा देकर उदाहरण प्रस्तुत करे।