गुरुग्राम, 7 अप्रैल। आज विश्व स्वास्थ्य दिवस पर आयुष विभाग की तरफ से होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतिका शर्मा ने दौलताबाद में होम्योपैथिक चिकित्सा एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
पिछले कुछ दिनों से धूप बहुत ज्यादा होने के साथ ही लू ने दस्तक दे दी है। लू लगने से बचाव ना करने पर स्थिति खराब हो सकती है। इसके बचाव व समाधान के बारे में बताया गया।
डॉ. शर्मा ने कहा कि झुलसा देने वाली धूप और गर्मी से संबंधित आपात स्थितियों के लिए तैयार रहें। निम्न सावधानियाँ बरत कर अपनी तथा अपने परिवारजनों के स्वास्थ्य तथा जान की रक्षा करें।
गर्मी में शरीर में ज्यादा पसीना आने से नमक और मिनरल की अत्यधिक कमी हो जाती है जिससे शरीर डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है। तब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता तब लू लगती है, इस कारण शरीर का तापमान बहुत तेजी से बढ़ जाता है।
लू लगने की स्थिति में शरीर पर ठंडे पानी के छींटे मारें और मरीज को जल्दी ही नजदीक के अस्पताल में ले जाएं।
लू लगने के कारण
तापमान बढने की वजह से लगतार पसीना आना ।
ज्यादा पसीना आने से कई बार शरीर में पानी वे नमक की कमी हो जाने से डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाना।
पोटैशियम और सोडियम की कमी होने से मरीज को कमजोरी व घबराहट महसूस होना।
• दस्त होने पर शरीर में पानी व नमक की कमी हो जाना।
60 वर्ष की आयु से अधिक लोगों, बच्चें व मोटे लोगों में तथा उच्च रक्तचाप व मधुमेह के रोगियों में लू लगने का खतरा बहुत अधिक होता। यदि शरीर में हुई पानी की कमी की भरपाई न हो सकें तो अधिक तापमान बच्चों व बुजुर्गों के लिए जानलेवा हो सकती है।
बचाव के उपाय
दिन की शुरुआत कुछ कुछ गिलास पानी पी कर ही करें।
हल्के रंग के ढीले कपड़े पहने ।
अगर सम्भव हो तो तेज गर्मी के दौरान यानि 11:00 बजे से 4:00 बजे तक सूर्य के सीधे सम्पर्क से आने से बचें। सिर पर गीला तौलिया रखें या छाता लेकर चलें।
3-4 लीटर पानी प्रतिदिन पीना आवश्यक है। यदि बाहर जाना बहुत आवश्यक हो तो जाने से पहले पानी जरुर पीयें पानी की बोतल साथ ले जाएं और हर घंटे में पानी अवश्य पीए। नमक व मिनरल की क्षतिपूर्ती के लिए लस्सी, नारियल पानी व शिकंजी लें। ऐसे फलों का सेवन करें जिन में पानी की मात्रा अधिक हो जैसे तरबूज, अनानास या खीरा। अत्यधिक ठण्डे तरल पदार्थ न पिएं, वह पेट में ऐठन पैदा कर सकते है।व्यायाम करते समय शिकंजी का उपयोग अवश्य करें।
हाइड्रेशन की हालत में मरीज को नींबू पानी का या ओ.आर.एस. का घोल या फिर नमक और चीनी को समान मात्रा में मिलाकर,थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाते रहें। उल्टी-दस्त की वजह से शरीर में पानी और नमक की कमी को यह घोल पूरा करता है, यह शरीर के लिए जरुरी केमिकल सोडियम और पोटैशियम की कमी को तुरंत दूर करता है। अगर यह कमी समय पर पूरी न हो, तो किडनी और ब्रेन पर इसका बुरा असर हो सकता है। लू लगने की स्थिति में होम्योपैथिक दवा ग्लोनाइन, नेट्रियम म्यूरेटिकम, एपिस, बेलेडोना जैसे दवाओं का सेवन चिकित्सक की सलाह से ले सकते हैं।
ये होम्योपैथिक दवाएं सरकारी डिस्पेंसरीयों में मुफ्त में प्रदान की जाती हैं। शिविर में 78मरीजों ने स्वास्थ्य लाभ लिया। होम्योपैथिक डिस्पेंसर गुरदास ,डॉ रेणु, कमल, प्रवीण,सुल्तान सिंह, विनोद अजमानी का विशेष सहयोग रहा।