प्रदेश स्तर के नेता तो पहुँचे, पर ज़िले के दावेदारों ने बनाई दूरी — क्या भाजपा में वापसी की तैयारी?

गुरुग्राम: संविधान निर्माता, भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर सोमवार (14 अप्रैल 2025) को कांग्रेस पार्टी द्वारा जिला कार्यालय कमान सराय में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रदेश स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा था, लेकिन स्थानीय स्तर पर कांग्रेस की गंभीर उपस्थिति की कमी ने कई सवाल खड़े कर दिए।
कार्यक्रम में हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी जितेंद्र बघेल, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज और पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हुए। झज्जर से जिला अध्यक्ष डॉ. विजय भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। हालांकि गुरुग्राम और आसपास के क्षेत्रों से कांग्रेस के दावेदारों व प्रमुख कार्यकर्ताओं की अनुपस्थिति ने सबका ध्यान आकर्षित किया।
गुरुग्राम-बादशाहपुर के नेता नदारद
कार्यक्रम में न तो गुरुग्राम से लोकसभा उम्मीदवार राज बब्बर दिखाई दिए, न ही विधानसभा उम्मीदवार मोहित ग्रोवर, बादशाहपुर से वर्धन यादव, और न ही मेयर पद की उम्मीदवार सीमा पाहुजा या मानेसर से निगम प्रत्याशी। पार्षद उम्मीदवारों की भी पूरी तरह से गैरमौजूदगी रही।
यह सवाल उठता है कि क्या ये सभी नेता केवल चुनावी लाभ के लिए कांग्रेस में शामिल हुए थे? और क्या अब ये भाजपा में वापसी की राह देख रहे हैं?
कार्यकर्ताओं की भी रही कमी, महिला विंग से भी निराशा
कार्यक्रम में झज्जर, पटौदी और सोहना से कुछ कार्यकर्ता ज़रूर पहुंचे, लेकिन गुरुग्राम व बादशाहपुर जैसे प्रमुख क्षेत्रों से कांग्रेस कार्यकर्ता और सेवादल, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस जैसे विंग्स के प्रतिनिधि तक नजर नहीं आए। महिला कांग्रेस की तरफ से भी केवल दो नेत्रियों की उपस्थिति रही, जबकि हाल ही में निगम चुनाव में उतारी गई महिला प्रत्याशियों ने भी कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।
बाबा साहब को केवल ‘दलितों के नेता’ के रूप में सीमित करना अनुचित
कार्यक्रम में यह देखने को मिला कि बाबा साहब को सिर्फ दलित समाज के नेता के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि उनका योगदान पूरे राष्ट्र और सभी वर्गों के लिए रहा है। डॉ. अंबेडकर न केवल संविधान निर्माता थे, बल्कि समाज सुधारक और महिलाओं के अधिकारों के प्रबल पक्षधर भी रहे।
क्या इसे सफल कार्यक्रम कहा जा सकता है?
जब पार्टी के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में भी ज़िले के नेता और कार्यकर्ता नहीं दिखाई दिए, तो यह चिंताजनक है। यह सवाल उठता है कि जब जिला स्तर पर पार्टी खुद अपने ही कार्यक्रम में ताकत नहीं दिखा पा रही है, तो विपक्ष की भूमिका निभाने में कितनी प्रभावी होगी?