सैकड़ों प्रबुद्ध नागरिकों की उपस्थिति, वक्ताओं ने संविधान की मूल भावना की रक्षा का किया आह्वान

गुरुग्राम, 15 अप्रैल 2025: भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर दलित अधिकार मंच और रिटायर्ड कर्मचारी संघ, गुरुग्राम के संयुक्त तत्वावधान में “अंबेडकर एवं संविधान” विषय पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सेमिनार की अध्यक्षता कंवर लाल यादव और योगेश कश्यप ने की, जबकि मंच संचालन रामेश्वर जी ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहेब को पुष्पांजलि अर्पित कर और गगनभेदी नारों के साथ हुई।

सेमिनार में सैकड़ों की संख्या में प्रबुद्ध नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र नेता, यूनियन प्रतिनिधि एवं विभिन्न जनसंगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए।

मुख्य वक्ता और रिटायर्ड कर्मचारी संघ के राज्य अध्यक्ष मास्टर वज़ीर सिंह ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा, “भारत के संविधान को बनाने में डॉ. अंबेडकर ने 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन की कठोर मेहनत की। यह संविधान देशवासियों को बराबरी, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार देता है। लेकिन आज की सांप्रदायिक और पूंजीवादी सोच वाली सरकारें संविधान की आत्मा को कुचलने पर आमादा हैं।”

उन्होंने कहा कि “मनुवादी सोच संविधान और डॉ. अंबेडकर के सपनों के विपरीत है। हमें इस सोच के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा और एक समतामूलक समाज की स्थापना करनी होगी।”

वरिष्ठ कर्मचारी नेता मास्टर शेर सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “वर्तमान केंद्र और राज्य सरकारें कर्मचारियों और मजदूरों के अधिकारों का हनन कर रही हैं, जो अंबेडकरवादी सोच के खिलाफ है।”

सीटू नेता मेजर एस.एल. प्रजापति ने कहा, “बाबा साहेब की बदौलत ही हमें समानता का अधिकार मिला है, लेकिन आज उसी अधिकार को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं।”

दलित अधिकार मंच की जिला संयोजक उषा सरोहा ने अपने वक्तव्य में कहा, “संविधान ने महिलाओं को जो संपत्ति का अधिकार दिया, वह बाबा साहेब की दूरदर्शिता का परिणाम है। महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए और अधिक मुखर होने की जरूरत है।”

इस अवसर पर छात्र नेता चेतन सरोहा, आशा वर्कर यूनियन की राज्य स्तरीय नेता प्रवेश, मीरा, रानी लांबा, ललिता यादव, लीलावती, ओमवती, विधा, सूरेंद्र, बलराम, चूड़ामणि, चंद्रकला, बबलू सहित अनेक जनसंगठनों के जिला प्रतिनिधियों ने विचार रखे और बाबा साहेब की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता जताई।

सेमिनार का संदेश साफ था — संविधान की आत्मा को बचाना है, और बाबा साहेब के सपनों का भारत बनाना है।

Share via
Copy link