???? गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों का बढ़ता जाल – गुरिंदरजीत सिंह ने उठाए बीजेपी सरकार पर सवाल
???? “दाखिला आज, बर्बादी कल?” – गुरुग्राम में शिक्षा व्यवस्था पर गुरिंदरजीत सिंह की बड़ी चेतावनी
???? क्या राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहा है शिक्षा का अवैध कारोबार?
???? बिना मान्यता, बिना NOC – गुरुग्राम में स्कूल या भविष्य की मंडी?
गुरुग्राम, 16 अप्रैल 2025 – गुरुग्राम के जाने-माने समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर हरियाणा सरकार, शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पूछा कि जब इन स्कूलों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, तो अब तक इनकी सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की गई? क्या इन स्कूलों का संचालन कुछ प्रभावशाली राजनीतिक संरक्षण में हो रहा है?
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ बयानबाजी?
गुरिंदरजीत सिंह का कहना है कि जब भी गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कार्रवाई की बात आती है, तो शासन और प्रशासन का रवैया बेहद ढीला नजर आता है। उन्होंने हरियाणा के शिक्षा मंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे मंचों से बड़े-बड़े बयान तो दे रहे हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई देखने को नहीं मिली।
सूची सार्वजनिक क्यों नहीं?
उन्होंने मांग की कि अगर प्रशासन वास्तव में गंभीर है, तो गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा, “जिला प्रशासन केवल 200 स्कूलों की बात कर रहा है, जबकि असल आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा है। इन स्कूलों की संख्या इतनी अधिक है कि शिक्षा विभाग उन्हें ट्रैक नहीं कर पा रहा या फिर जानबूझकर अनदेखी की जा रही है।”
एक एफिलिएशन पर कई शाखाएं – प्रशासन मौन क्यों?

गुरिंदरजीत सिंह ने एक और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि कई स्कूल केवल एक एफिलिएशन दिखाकर उसी के नाम से कई शाखाएं चला रहे हैं। जबकि नियमों के अनुसार प्रत्येक शाखा के लिए अलग मान्यता अनिवार्य है। इसके बावजूद प्रशासन चुप है। कई स्कूल तो केवल ‘CBSE पैटर्न’ लिखकर बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहे हैं और अभिभावकों को धोखा दे रहे हैं।
फायर एनओसी, आधारभूत ढांचे के बिना स्कूल
उन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों के पास फायर एनओसी, बिल्डिंग सुरक्षा प्रमाण पत्र या बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। कुछ को केवल प्राथमिक कक्षाओं की मान्यता मिली है, फिर भी वे 10वीं-12वीं तक के छात्रों को दाखिला दे रहे हैं। इन स्कूलों में न तो विज्ञान प्रयोगशालाएं हैं और न ही योग्य शिक्षक। ये सीधे तौर पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
क्या राजनीतिक संरक्षण में चल रहा है यह कारोबार?
गुरिंदरजीत सिंह ने सबसे बड़ा सवाल उठाते हुए कहा, “क्या इन स्कूलों का संचालन बीजेपी नेताओं के संरक्षण में हो रहा है?” उन्होंने कहा कि अक्सर इन स्कूलों के कार्यक्रमों में बीजेपी नेताओं की उपस्थिति देखी जाती है, जिससे आम जनता में यह संदेश जाता है कि यह स्कूल सरकारी संरक्षण में हैं। इससे न केवल कार्रवाई टलती है, बल्कि ऐसे स्कूल और भी निर्भीक होकर बच्चों का भविष्य दांव पर लगाने लगते हैं।
दाखिले के बाद कार्रवाई तो बच्चों का क्या?
उन्होंने चिंता जताई कि अगर दाखिले के बाद इन स्कूलों पर कार्रवाई हुई, तो उन बच्चों का क्या होगा जो पहले ही इनमें पढ़ना शुरू कर चुके हैं? उन्होंने पूछा कि “क्या सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की है?” या फिर जानबूझकर कार्रवाई में देरी की जा रही है ताकि दाखिले हो जाएं और बाद में महज़ नोटिस भेजकर खानापूर्ति कर दी जाए।
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से जवाब तलब
गुरिंदरजीत सिंह ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से सीधा सवाल किया कि यदि वे स्वयं शिकायतों को संज्ञान में लेते हैं, तो अब तक इस काले शैक्षिक कारोबार पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?