लोकसभा और विधानसभा के एक साथ चुनाव होने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी : विजयपाल एडवोकेट
जनता एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में : विजयपाल एडवोकेट

चंडीगढ़, 17 अप्रैल। वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी के हरियाणा के संयोजक विजयपाल एडवोकेट ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन राष्ट्र की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जब देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे तो देश का काफी खर्च बचेगा जिसे अन्य विकास कार्यों में खर्च किया जा सकेगा। विजयपाल एडवोकेट गुरुवार को पंचकूला स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में वन नेशन, वन इलेक्शन विषय पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आम लोग भी देश में एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में हैं। विजयपाल एडवोकेट ने यह भी कहा देशभर में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर जो मुहिम चलाई जा रही है उसे लोगों के सकारात्मक विचार आ रहे हैं।
वन नेशन, वन इलेक्शन के संयोजक विजयपाल एडवोकेट ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी का गठन किया हुआ है। देश के अंदर अलग-अलग संगठनों, वर्गों, छात्रों, बार एसोसिएशनों और सामाजिक संगठनों के माध्यम से अभियान चला हुआ है। हरियाणा में सांगठनिक रूप बनाए गए 27 जिलों में से 20 जिलों में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर कार्यक्रम हो चुके हैं।
विजयपाल एडवोकेट ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन अभियान के राष्ट्रीय संयोजक शिवराज चौहान 22 अप्रैल को 2.30 बजे करनाल में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आ रहे हैं। श्री चौहान भी वन नेशन, वन इलेक्शन पर अपने विचार रखेंगे। इसी कड़ी में गुरुग्राम और पंचकूला में दो मैराथन प्रोग्राम भी रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर चल रही मुहिम के तहत 200 कार्यक्रम हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिला परिषद, नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषदों द्वारा भी रेजोल्यूशन पास कराकर वन नेशन, वन इलेक्शन कमेटी के पास भेजे जा चुके हैं।
विजयपाल एडवोकेट ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन कोई नई बात नहीं है। हरियाणा के अंदर भी 1991 और 1996 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा का मतदाता परिपक्व है और वन नेशन, वन इलेक्शन के महत्व को जानता है। एक साथ चुनाव होने से समय बचता है और जनता में भी चुनाव के प्रति दिलचस्पी बढ़ती है। विजयपाल एडवोकेट ने कहा कि बार-बार होने वाले इलेक्शन से मत प्रतिशत लगातार घट रहा है, इसलिए वन नेशन, वन इलेक्शन देश और प्रदेश के लिए बहुत ही जरूरी है।
विजयपाल एडवोकेट ने एक सवाल के जवाब में कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन मोदी सरकार की ओर से देश की चुनाव प्रक्रिया में सुधार लाने की एक पहल है। वन नेशन, वन इलेक्शन विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047“ के दृष्टिकोण को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि इससे लोकतंत्र के महापर्व में जनता की अधिक भागीदारी सुनिश्चित होगी। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी नवीन गर्ग, श्याम लाल बंसल, जिला संयोजक आशीष गुलेरिया, जिला मीडिया प्रभारी के. चंदन आदि उपस्थित रहे।
भाव / संपादकीय टिप्पणी:
“लोकतंत्र की मजबूती विचारों के टकराव से होती है, न कि केवल कार्यक्रमों के आयोजन से।”
वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर जो बहस चल रही है, वह न केवल आर्थिक दृष्टि से, बल्कि राजनीतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों की कसौटी पर भी परखी जानी चाहिए। विजयपाल एडवोकेट ने जो बातें कहीं, वे एक सुव्यवस्थित राष्ट्र के निर्माण की दिशा में सराहनीय प्रयास हैं, लेकिन इसके साथ यह भी आवश्यक है कि जनता की सीमित नहीं, बल्कि सजीव भागीदारी सुनिश्चित हो।
यदि कोई सरकार कार्यकाल के बीच गिरती है, तो फिर “एक साथ चुनाव” की परिकल्पना क्या उस स्थिति में लोकतंत्र की आत्मा को घायल नहीं करेगी?
अगर स्थानीय निकाय चुनाव वर्षों तक टाले जाते हैं, तो क्या हम उसी व्यवस्था में लोकसभा-विधानसभा चुनाव समय पर सुनिश्चित कर पाएंगे?
यह भी देखने की आवश्यकता है कि इस पूरी मुहिम का केंद्र कहीं वास्तविक जन मुद्दों से ध्यान भटकाना तो नहीं बन रहा।
चुनाव की बचत और सहूलियत के बीच, कहीं हम जनता की आवाज़ को कमजोर तो नहीं कर रहे?
वन नेशन, वन इलेक्शन एक गंभीर विषय है, जिसे केवल राजनीतिक नारों से नहीं, विचारों की गहराई और जनता की सहमति से ही आगे बढ़ाया जाना चाहिए। अन्यथा यह भी एक ‘एक तरफा पहल’ बनकर रह जाएगी।