हिंदू पर्व महासभा ने पश्चिम बंगाल हिंसा को बताया चिंताजनक, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती का किया स्वागत
धार्मिक हिंसा पर हिंदू महासभा सख्त, 600 से अधिक हिंदू परिवारों के पलायन को बताया गंभीर चेतावनी
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
चंडीगढ़, 17 अप्रैल — पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ कानून के विरोध के बाद भड़की हिंसा ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना को लेकर हिंदू पर्व महासभा चंडीगढ़ (पंजीकृत) ने बुधवार को एक आपात बैठक बुलाई। यह बैठक महासभा के रजिस्टर्ड ऑफिस, सेक्टर 37 में आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता महासभा प्रमुख श्री बी. पी. अरोड़ा एवं महासचिव श्री कमलेश चंद्र सूरी ने की। बैठक में चंडीगढ़ के प्रमुख मंदिरों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
बैठक में वक्ताओं ने मुर्शिदाबाद जिले के धूलियान, सूति, जंगीपुर और अन्य इलाकों में हुई हिंसक घटनाओं पर गहरा रोष व्यक्त किया। महासभा ने आरोप लगाया कि शुक्रवार की नमाज़ के बाद उग्र हुई भीड़ ने 300 से अधिक हिंदू परिवारों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, दर्जनों घर और दुकानें जला दी गईं, और महिलाओं व बेटियों के साथ गंभीर अभद्रता की गई। भय के चलते 600 से अधिक परिवारों के पलायन की खबरें भी सामने आई हैं।
महासचिव श्री सूरी ने कहा, “जिस प्रकार से इस घटना में राज्य प्रशासन की निष्क्रियता रही है, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की हिंसा को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ के वक्तव्यों का भी उल्लेख किया गया, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि “बंगाल जल रहा है और वहां की मुख्यमंत्री दंगाइयों को शांतिदूत कह रही हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर अपराधियों को खुली छूट दी जा रही है।”
महासभा के अध्यक्ष श्री अरोड़ा ने मांग की कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट इस घटना का संज्ञान लें और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानूनी व्यवस्था लागू की जाए। उन्होंने कहा कि देश में धार्मिक आधार पर भय का वातावरण बनाना एक गंभीर चिंता का विषय है और इससे देश की एकता पर आघात पहुँचता है।
न्यायपालिका की पहल का स्वागत करते हुए महासभा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सीआरपीएफ की तैनाती और हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में केंद्रीय निगरानी की पहल को सही दिशा में कदम बताया।
महासभा ने स्पष्ट किया कि “हम किसी समुदाय के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन देश में कानून-व्यवस्था का पालन हर नागरिक के लिए अनिवार्य है। यदि हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती नहीं बरती गई, तो यह न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा होगा, बल्कि देश की सामाजिक संरचना को भी कमजोर करेगा।”
अंत में महासभा ने सभी हिंदू संगठनों, मंदिर समितियों और समाजसेवियों से आह्वान किया कि वे एकजुट होकर समाज में शांति, सुरक्षा और धर्म की रक्षा के लिए समय-समय पर संगठित प्रयास करें।