इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने उठाए शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न

गुरुग्राम। दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह (अर्जुन नगर) ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सवाल उठाया है कि आखिर सरकार और प्रशासन ऐसे स्कूलों को बंद करवाने के लिए क्या ठोस कदम उठा रहे हैं।

गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची क्यों नहीं जारी कर रही सरकार?

गुरिंदरजीत सिंह का कहना है कि शिक्षा मंत्री और विभाग के अधिकारी अक्सर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के दावे तो करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट है। आज भी कई स्कूल बिना मान्यता के न केवल संचालित हो रहे हैं, बल्कि धड़ल्ले से नए दाखिले भी ले रहे हैं।

उन्होंने सवाल उठाया, “अगर सरकार गंभीर है तो अब तक इन स्कूलों की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की गई?” उनका कहना है कि सरकार राज्यभर में करीब 250-300 ऐसे स्कूल होने का दावा करती है, जबकि गुरुग्राम में ही इनकी संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।

5वीं तक मान्यता, पढ़ा रहे 12वीं तक – हो रहा अभिभावकों के साथ धोखा

गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि गुरुग्राम जिले में कई ऐसे स्कूल हैं जिन्हें केवल पांचवीं कक्षा तक की मान्यता प्राप्त है, लेकिन वे 12वीं तक की कक्षाएं चला रहे हैं। इससे न केवल शैक्षिक गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं, बल्कि छात्रों के भविष्य से भी खिलवाड़ होता है।

कुछ स्कूल तो फायर एनओसी, बिल्डिंग सेफ्टी, मान्यता पत्र जैसे बुनियादी दस्तावेजों के बिना ही संचालित हो रहे हैं। एक स्कूल पर कार्रवाई जरूर हुई है, लेकिन बाकी पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

छोटे-छोटे भवनों में सैकड़ों बच्चे – सुरक्षा से खिलवाड़

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि कॉलोनियों की छोटी-छोटी इमारतों में अवैध रूप से स्कूल खोल दिए गए हैं, जहां सैकड़ों बच्चे बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों के पास न तो पर्याप्त जगह है, न ही सुरक्षा के मानक पूरे हैं।

उन्होंने आशंका जताई, “अगर किसी स्कूल में हादसा हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?”

RWA की भूमिका पर भी उठे सवाल

उन्होंने कॉलोनियों की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (RWA) की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया। उनका कहना है कि RWA को अपनी कॉलोनियों में संचालित गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की जानकारी होती है, इसके बावजूद वे शिकायत दर्ज नहीं करवा रहे।

“क्या कॉलोनी के बच्चों के भविष्य की चिंता केवल अभिभावकों की है? क्या RWA की कोई जिम्मेदारी नहीं?” उन्होंने पूछा।

सरकार को चाहिए सख्त कार्रवाई और पारदर्शिता

गुरिंदरजीत सिंह ने सरकार, शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन से मांग की है कि

  1. प्रदेश और जिले में संचालित सभी गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची सार्वजनिक की जाए।
  2. जिन स्कूलों के पास मान्यता नहीं है, उन्हें तुरंत बंद कराया जाए।
  3. अभिभावकों और बच्चों को सुरक्षित स्थानांतरण की व्यवस्था की जाए।
  4. RWA को अधिक जिम्मेदारी दी जाए ताकि वे अपनी कॉलोनियों में ऐसे स्कूलों की सूचना प्रशासन तक पहुँचाएं।

निष्कर्ष:

गुरुग्राम जैसे विकसित शहर में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की बढ़ती संख्या न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि शिक्षा अब व्यवसाय बन चुकी है। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस पर गंभीरता से कार्रवाई करनी होगी, ताकि बच्चों के भविष्य के साथ किसी तरह का खिलवाड़ न हो सके।

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