जीनोम संपादन प्रयोगशाला का उद्घाटन

 चंडीगढ़, 22 अप्रैल-  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए पैदावार को बढ़ाना होगा। गेहूं की ऐसी किस्में विकसित करनी होंगी  जिनमें पानी कम लगे, तापमान बढऩे पर भी अधिक पैदावार हो, ग्लूटेन की मात्रा कम हो और अनाज भी पौष्टिक हो। उन्होंने गेहूं और जौ की नई किस्में विकसित करने के लिए यहां के भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों को बधाई दी।

श्री चौहान आज करनाल मे भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान में जीनोम संपादन प्रयोगशाला का लोकार्पण करने के बाद कृषक संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा है कि 1960 के दशक में भारत को अमेरिका से पीएल-480 किस्म का निम्न स्तर का गेहूं आयात करना पड़ता था। आज भारत में गेहूं की नई-नई किस्में विकसित की जा रही हैं जिसकी बदौलत गेहूं पैदावार में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। कई देशों को तो भारत मुफ्त में अनाज उपलब्ध करा रहा है। देश में अनाज के भंडार भरे हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। विकसित भारत का सपना उन्नत खेती और समृद्ध किसान के बिना साकार नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में पिछले 10 सालों में देश में गेहूं की पैदावार 25 प्रतिशत बढ़ी है। सरकार भी कई प्रोत्साहन योजनाएं चलाकर किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। श्री चौहान ने कहा कि भारत में कृषि जोत छोटी हो रही है। 86 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जिनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है। किसानों को घटती जमीन के बावजूद पैदावार बढ़ानी होगी। पैदावार बढ़ाने के लिए उन्नत बीजों का होना जरूरी है। खुशी है कि इस दिशा में करनाल का यह संस्थान महत्ती भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से कहा कि वे गेहूं की ऐसी किस्में विकसित करें जो जलवायु अनुकूल हों, पानी की लागत व ग्लूटेन की मात्रा कम हो और पैदा होने वाला अनाज भी पौष्टिक हो।  लैब (प्रयोगशाला) के प्रयोगों को लैंड (जमीन) तक पहुंचाया जाए। कृषि को और बेहतर बनाकर किसानों की तकदीर बदलें। विकसित भारत के साथ-साथ गांवों को गरीबी मुक्त बनाना है।

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