हरियाणा के 15 जिलों में बिजली के खंभों और तारों से जली 814 एकड़ फसल, किसानों को नहीं मिला बीमा मुआवजा
‘फसल बीमा योजना नहीं किसान बीमा ठगी योजना है’ – वेदप्रकाश विद्रोही

चंडीगढ़,रेवाड़ी, 25 अप्रैल 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की खामियों को लेकर हरियाणा सरकार और केंद्र सरकार पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में आंधी-तूफान के चलते बिजली के खंभे और तार टूटने से प्रदेश के 15 जिलों में 814 एकड़ खड़ी रबी फसलें जलकर राख हो गईं। इससे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।

विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा बिजली से जली फसलों पर मुआवजे की घोषणा पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा किया और कहा कि जब फसल बीमा योजना में ऐसे मामलों को कवर ही नहीं किया गया, तो मुआवजा कैसे मिलेगा?

उन्होंने तीखा सवाल किया—“जब खेतों में बिजली के खंभे और तार किसानों की अनुमति के बिना लगाए गए हैं, तो फिर बिजली से फसलों के जलने की जिम्मेदारी किसानों की कैसे हो सकती है?” उन्होंने यह भी कहा कि बिजली विभाग किसानों को न तो इसके बदले कोई किराया देता है, न ही सहमति लेता है, ऐसे में यह पूरी तरह किसानों पर थोपी गई प्राकृतिक आपदा है।

विद्रोही ने फसल बीमा योजना को ‘बीमा कंपनियों के हितों के लिए बनाई गई योजना’ करार देते हुए आरोप लगाया कि “मोदी सरकार ने जानबूझकर ऐसे नियम बनाए हैं, जिनसे किसानों को मुआवजा मिलना मुश्किल हो जाता है। यह किसान विरोधी नीति और बीमा कंपनियों के साथ मिलीभगत का नतीजा है।”

उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन कर इसे ‘किसान फ्रेंडली’ बनाया जाए, और बिजली से जली फसलों के लिए किसानों को न्यूनतम 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा तत्काल दिया जाए, ताकि उनकी टूटी कमर को कुछ राहत मिल सके।

“हरियाणा सरकार को इस मामले में बीमा योजना के नियमों की आड़ में किसानों को ठगने की बजाय, स्पष्ट और ठोस मुआवजा नीति बनाकर किसानों के साथ न्याय करना चाहिए,” विद्रोही ने दो टूक कहा।

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