
27 अप्रैल 2025, चंडीगढ़,रेवाड़ी,। स्वयंसेवी संस्था ‘ग्रामीण भारत’ के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा सरकार पर किसानों के साथ धोखा करने का गंभीर आरोप लगाया है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदने का दावा करती है, जबकि हकीकत में रबी सीजन की केवल दो फसलें — गेहूं और सरसों — ही एमएसपी पर खरीदी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि गेहूं और सरसों की भी समय पर खरीद और उठान न होने से किसानों को न केवल भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि फसल की बिक्री के बाद समय पर भुगतान भी नहीं हो पा रहा है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि इस भीषण गर्मी में किसान बिना किसी सुविधा के मंडियों में भटक रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक एयर कंडीशनर दफ्तरों में बैठकर खरीद प्रक्रिया को “सुचारू” बताते हुए अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
विद्रोही ने मुख्यमंत्री से सीधे सवाल किया कि जब सरकार 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का दावा करती है, तो फिर रबी सीजन की अन्य आठ फसलों — गेहूं और सरसों को छोड़कर — की खरीद किस मंडी में, कितनी मात्रा में, और किन किसानों से की गई है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल दो फसलों की खरीद कर पूरे 24 फसलों की खरीद का झूठा प्रचार कर रही है।
विद्रोही ने यह भी पूछा कि यदि सरकार गेहूं और सरसों की खरीद प्रक्रिया को सही तरीके से संचालित कर रही है, तो फिर मंडियों से खरीदी गई फसल का उठान समय पर क्यों नहीं हो रहा? किसान को 48 से 72 घंटे के भीतर भुगतान का दावा भी जमीनी स्तर पर विफल साबित हो रहा है।
उन्होंने मंडियों में किसानों के लिए बुनियादी सुविधाओं — छाया, विश्राम स्थल, शौचालय, पीने के पानी और भोजन — की घोर कमी पर भी सरकार को आड़े हाथों लिया। विद्रोही ने कहा कि इस भीषण गर्मी में किसानों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।