गुरुग्राम, 27 अप्रैल 2025 – समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने अभिभावकों को जागरूक रहने और डमी स्कूलों से सावधान रहने की अपील की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पर सभी का समान अधिकार है और इसी उद्देश्य से सरकारों ने समय-समय पर “सब पढ़ो, सब बढ़ो” और सर्व साक्षरता मिशन जैसे अभियान चलाए। वहीं, निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश के लिए आरटीई कानून लागू किया गया, जिसके तहत निजी स्कूलों को 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं।

लेकिन इस सकारात्मक प्रयास के समानांतर कई निजी स्कूल संचालकों ने अवैध तरीके से बिना मान्यता के स्कूल खोलने शुरू कर दिए, जिससे आम जनता धोखा खा रही है।

अभिभावकों से जागरूकता की अपील

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि आज अभिभावकों को सिर्फ साक्षर नहीं, बल्कि सजग और सतर्क भी बनना होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए निम्न बिंदुओं की अनिवार्य जांच करें:

  1. विद्यालय का वैध CBSE/ICSE/HP बोर्ड या अन्य सरकारी बोर्ड से एफिलिएशन नंबर और बीएसई/आरटीई द्वारा जारी मान्यता प्रमाण पत्र।
  2. स्कूल के पंजीकृत पते और उसकी आधिकारिक वेबसाइट की जांच।
  3. यह सुनिश्चित करना कि स्कूल उसी पते और उसी मान्यता के तहत संचालित हो रहा है।
  4. ध्यान रखें कि एक ही परिसर में एक से अधिक बोर्ड का संचालन अवैध है।

डमी स्कूलों का बढ़ता खतरा

गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि कई स्कूल बिना मान्यता के या सीमित मान्यता लेकर बड़ी कक्षाओं की पढ़ाई करवा रहे हैं, जहाँ न तो योग्य शिक्षक हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं। उन्होंने चेताया कि डमी स्कूलिंग और जीरो अटेंडेंस पूरी तरह से प्रतिबंधित है, फिर भी कुछ संस्थान बिना पढ़ाई के 12वीं कक्षा में बच्चों की उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। इससे बच्चों को यह गलत संदेश जाता है कि पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है। ऐसे संस्थानों से आदर्श नागरिकों का निर्माण नहीं हो सकता।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिना मान्यता वाले स्कूलों में दाखिला कराना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इसलिए अभिभावक केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त और संबद्ध स्कूलों में ही बच्चों का दाखिला कराएं।

गुरुग्राम में शिक्षा विभाग और प्रशासन नाकाम

गुरिंदरजीत सिंह ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि गुरुग्राम में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, 2025-26 सत्र में भी इन स्कूलों में धड़ल्ले से दाखिले हो रहे हैं। शिक्षा विभाग और प्रशासन इस पर रोक लगाने में विफल साबित हुए हैं।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा बार-बार गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कार्रवाई की बात करते हैं, लेकिन धरातल पर न तो कोई कार्रवाई दिखती है और न ही गुरुग्राम में चल रहे गैर मान्यता स्कूलों की सूची सार्वजनिक की गई है। इससे प्रतीत होता है कि शासन-प्रशासन सिर्फ कार्रवाई का दिखावा कर रहा है, जबकि असल में इन स्कूलों को संरक्षण मिल रहा है।

क्यों नहीं की जाती सख्त कार्रवाई?

गुरिंदरजीत सिंह ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि यदि प्रशासन वाकई गंभीर है तो पुलिस बल के साथ जाकर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को सील क्यों नहीं किया जाता?
उन्होंने गुरुग्राम के उपायुक्त, जिला शिक्षा अधिकारी और टाउन प्लानर की भूमिका पर भी सवाल उठाए और पूछा कि:

  • बिना नक्शा पास कराए,
  • बिना बोर्ड एफिलिएशन,
  • बिना फायर एनओसी,
  • बिना विधिवत अनुमति

स्कूल आखिर कैसे खुलेआम चल रहे हैं?

निष्कर्ष

गुरिंदरजीत सिंह ने दोहराया कि शिक्षा का अधिकार बच्चों का मूल अधिकार है। इस अधिकार की रक्षा के लिए सरकार, प्रशासन और अभिभावकों को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने जनता से अपील की कि वे बच्चों के भविष्य के साथ कोई समझौता न करें और जागरूकता फैलाकर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के खिलाफ आवाज उठाएं।

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