वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक

डॉ. शीतल सिंगला

कुरुक्षेत्र, 28 अप्रैल। हरियाणा में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पार कर चुका है। आसमान से बरसती आग और भीषण लू ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सरकार ने भी जनता से सतर्क रहने की अपील की है। इस विकट मौसम में श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के योग विभाग की चेयरपर्सन प्रोफेसर वैद्य डॉ. शीतल सिंगला ने आयुर्वेद आधारित उपायों और पारंपरिक पेयों के माध्यम से लू व हीटवेव से बचाव के कारगर तरीके बताए हैं।

शरीर को हाइड्रेट रखना सबसे ज़रूरी: डॉ. शीतल सिंगला

डॉ. सिंगला ने बताया कि भीषण गर्मी में शरीर को हाइड्रेटेड रखना सबसे आवश्यक है। पानी के साथ-साथ छाछ, नारियल पानी और ताजे फलों के रस का सेवन करने से शरीर में तरलता बनी रहती है और गर्मी से राहत मिलती है। नींबू पानी भी शरीर की गर्मी को कम करने में प्रभावी भूमिका निभाता है।
उन्होंने सलाह दी कि भारी, तैलीय भोजन से बचकर हल्के और जल्दी पचने वाले आहार को प्राथमिकता दें, ताकि शरीर पर अतिरिक्त गर्मी का प्रभाव न पड़े।

आयुर्वेदिक पेय: गर्मी से बचाव के पारंपरिक उपाय

डॉ. सिंगला ने आयुर्वेद में वर्णित ठंडक देने वाले पारंपरिक पेयों की चर्चा करते हुए कहा कि:

  • निम्बूक फल पानक (नींबू रस, चीनी पानी और काली मिर्च से बना पेय)
  • आम्र पानक (कच्चे आम का शरबत)
  • चिंचा पानक (इमली से तैयार पेय)
    जैसे पेय न केवल शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं, बल्कि लू से बचाव में भी अत्यंत सहायक हैं।
    हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जिन लोगों को एसिडिटी की समस्या रहती है, वे चिंचा पानक से बचें।

सत्तू शरबत: एनर्जी और ठंडक का बेहतरीन स्रोत

डॉ. शीतल सिंगला ने बताया कि चना, जौ और गेहूं के सत्तू से तैयार शरबत गर्मियों में अत्यंत लाभकारी हैं। मीठे या नमकीन सत्तू शरबत न केवल शरीर को ताजगी देते हैं, बल्कि लंबे समय तक ठंडक भी बनाए रखते हैं।
इसके अलावा, रागी से बनी खीर भी गर्मियों के लिए एक बेहतरीन पौष्टिक विकल्प है, जो फाइबर और आवश्यक पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है।

त्वचा की सुरक्षा के लिए चंदन और एलोवेरा

डॉ. सिंगला ने भीषण गर्मी में त्वचा की देखभाल पर भी बल दिया। उन्होंने चंदन और ग्वारपाठा (एलोवेरा) से बने प्राकृतिक लेप को त्वचा पर लगाने की सलाह दी, जो जलन से राहत देने के साथ त्वचा को ठंडक प्रदान करता है।
उन्होंने दिन के सबसे गर्म समय में दोपहर की झपकी लेने को भी शरीर को तरोताजा रखने का अच्छा तरीका बताया।

हाइड्रेटिंग फलों को बनाएं आहार का हिस्सा

गर्मी से बचाव के लिए डॉ. सिंगला ने खीरा, तरबूज, खरबूजा, सिंघाड़ा और अंगूर जैसे जलयुक्त फलों को नियमित आहार में शामिल करने की सलाह दी। ये फल न केवल शरीर को ठंडा रखते हैं बल्कि विटामिन और मिनरल्स की भी आपूर्ति करते हैं।

???? गर्मी से बचाव के लिए 5 आयुर्वेदिक मंत्र

1. हाइड्रेट रहें प्राकृतिक पेयों से:
छाछ, नारियल पानी, नींबू पानी और सत्तू शरबत जैसे प्राकृतिक तरल पदार्थों का सेवन करें। ये शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं और ऊर्जावान बनाए रखते हैं।

2. हल्का व सुपाच्य भोजन करें:
गर्मी में भारी, तैलीय और मसालेदार भोजन से परहेज करें। इसके स्थान पर हल्का, जल्दी पचने वाला और मौसमी फलों व सब्जियों से भरपूर भोजन अपनाएं।

3. ठंडक देने वाले आयुर्वेदिक पेय अपनाएं:
निम्बूक फल पानक (नींबू शरबत), आम्र पानक (कच्चे आम का शरबत) और चिंचा पानक (इमली का शरबत) जैसे पारंपरिक पेयों से लू और हीटवेव से बचाव करें।

4. त्वचा की प्राकृतिक देखभाल करें:
चंदन और एलोवेरा (ग्वारपाठा) से बने लेप का प्रयोग त्वचा को ठंडक देने और जलन से राहत पाने के लिए करें।

5. दोपहर में विश्राम करें:
गर्मियों में दिन के सबसे गर्म समय — दोपहर के दौरान हल्का विश्राम या झपकी लेना शरीर को ताजगी देने और गर्मी से जुड़ी बीमारियों से बचाने में सहायक है।

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