हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक कार्रवाई अधूरी।
स्थानीय नेता दे रहे गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को संरक्षण?
गुरुग्राम, 28 अप्रैल। हरियाणा में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी है। शिक्षा विभाग ने इस दिशा में पत्र जारी किया है, लेकिन समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह का सवाल है कि कार्रवाई कब होगी?
उन्होंने कहा कि प्रदेश में हजारों स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। इनमें से कुछ पर ही विभाग ने संज्ञान लिया है जबकि कई बड़े स्कूल बिना अनुमति के अपनी शाखाएँ संचालित कर रहे हैं। इन पर कब कार्रवाई होगी, यह सवाल बना हुआ है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग सक्रिय
गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के बाद शिक्षा विभाग ने पत्र जारी कर सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 18 के उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई करें।
इस धारा के अनुसार बिना उपयुक्त प्राधिकरण से मान्यता लिए कोई भी स्कूल संचालित नहीं किया जा सकता।
इसके अलावा, विभाग को यह भी जानकारी मिली है कि शहरी क्षेत्रों में “प्ले स्कूल” के नाम पर 1 से 5वीं कक्षा तक पढ़ाई कराई जा रही है, जो पूर्णतः अवैध है। इसी प्रकार कुछ एनजीओ “रेमेडियल क्लासेज़” के नाम पर पूरे समय के स्कूल चला रहे हैं, जो कि कानूनन गलत है।
स्थानीय नेताओं पर संरक्षण देने का आरोप
गुरिंदरजीत सिंह ने कहा कि गुरुग्राम में सैकड़ों गैर मान्यता प्राप्त स्कूल चल रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की सूची में मात्र 282 स्कूलों के नाम हैं।
यहाँ तक कि जिस चैतन्य स्कूल पर विभाग ने छापा मारा, उसका नाम भी इस सूची में नहीं था।
उन्होंने आरोप लगाया कि इन स्कूलों को स्थानीय नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। हाल ही में निजी स्कूलों की एक कमेटी ने गुरुग्राम के विधायक मुकेश शर्मा से मुलाकात की, जहाँ उन्हें आश्वासन दिया गया कि “कुछ गलत नहीं होने दिया जाएगा।”
इस पर गुरिंदरजीत सिंह ने सवाल उठाया कि क्या विधायक उच्च न्यायालय और राज्य सरकार के आदेशों का पालन करेंगे या कानून तोड़ने वालों का साथ देंगे?
नामचीन नेता गैर मान्यता स्कूलों के कार्यक्रमों में क्यों जाते हैं?
गुरिंदरजीत सिंह ने उन राजनीतिक नेताओं और तथाकथित समाजसेवियों पर भी सवाल उठाए जो गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के आयोजनों में शिरकत करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब ये गणमान्य व्यक्ति ऐसे स्कूलों के कार्यक्रमों में जाते हैं, तो क्या वे सिर्फ भीड़ बढ़ाने जाते हैं या प्रशासन को संकेत देना चाहते हैं कि इन स्कूलों को उनका संरक्षण प्राप्त है?
यही कारण है कि कई ऐसे स्कूल शिक्षा विभाग की सूची से बाहर हैं।
गुरिंदरजीत सिंह ने अंत में पूछा —
“क्या इन नेताओं की नैतिक जिम्मेदारी आम जनता और बच्चों के भविष्य के प्रति है या फिर गैरकानूनी स्कूल संचालकों के प्रति?”