पेयजल संकट, बिजली कटौती और गंदगी से त्रस्त जनता, बरसात में हालात और बिगड़ने की आशंका

चंडीगढ़, गुरुग्राम, रेवाड़ी, 4 मई 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि भाजपा को तीसरी बार लगातार सत्ता देने का दुष्परिणाम अब प्रदेश की जनता भुगत रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में न तो लोगों को पर्याप्त पीने का पानी मिल रहा है और न ही नियमित बिजली आपूर्ति हो रही है। इसके साथ ही नगर निकायों की लापरवाही और बजट के अभाव में पूरे राज्य के शहरी क्षेत्र गंदगी के ढेर में तब्दील हो चुके हैं।
विद्रोही ने कहा कि पंजाब से भाखड़ा नहर के पानी को लेकर चल रहे विवाद के कारण हरियाणा में जल संकट गहरा गया है। वर्तमान में एक दिन छोड़कर एक दिन सीमित मात्रा में जल आपूर्ति की जा रही है। गर्मी की शुरुआत में ही लोगों को पीने के पानी के लिए जूझना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य में बिजली की मांग मई-जून के महीनों में प्रतिदिन लगभग 15 हजार मेगावाट तक पहुंच जाएगी, जबकि सरकार ने महज 12 हजार मेगावाट की ही व्यवस्था की है। ऐसे में प्रदेश में प्रतिदिन करीब 3 हजार मेगावाट बिजली की कमी रहेगी, जिसके चलते आम जनता को 6 से 10 घंटे तक बिजली कटौती झेलनी पड़ेगी।
शहरों में गंदगी का अंबार, नगर निकाय असहाय
वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि प्रदेश के सभी शहरों में कचरा प्रबंधन पूरी तरह चरमराया हुआ है। नगर निकायों द्वारा ठेके पर दी गई सफाई सेवाएं भी अस्थायी और लचर साबित हो रही हैं। कई स्थानों पर कूड़ा उठाने वाली कंपनियां नियमित रूप से काम नहीं कर रहीं। वहीं, नगर निकायों के पास न तो पर्याप्त सफाई कर्मचारी हैं और न ही संसाधन।
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी केवल मीडिया में बयानबाजी कर रहे हैं कि मानसून से पूर्व नालों, नालियों और सीवर की सफाई की जा रही है, जबकि जमीनी हकीकत इसके उलट है। साफ-सफाई के नाम पर जारी बजट कहां खर्च हो रहा है, यह भी स्पष्ट नहीं है।
बरसात में और बिगड़ सकते हैं हालात
विद्रोही ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो बरसात के मौसम में स्थिति और गंभीर हो सकती है। गंदगी और जलजमाव से न केवल जनजीवन प्रभावित होगा, बल्कि महामारी फैलने का भी खतरा बढ़ जाएगा।
उन्होंने प्रदेश सरकार से तत्काल पेयजल, बिजली और सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता देने की मांग करते हुए कहा कि जनता के बुनियादी अधिकारों से खिलवाड़ अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।