20 मई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को बताया जरूरी, कहा—”मजदूरों का शोषण रोकने के लिए संगठित विरोध जरूरी”

???? 5 मई 2025 | चंडीगढ़/रेवाड़ी – असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, बंधुआ श्रमिकों, खानों, ईंट-भट्टों और निर्माण क्षेत्रों में कार्यरत मेहनतकशों के लिए लंबे समय से संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता एवं ‘ग्रामीण भारत’ संस्था के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने केंद्र की मोदी-भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सरकार द्वारा पूर्ववर्ती 44 श्रम कानूनों को निरस्त कर चार लेबर कोड लागू करने की योजना को “पूंजीपतियों को मजदूरों का शोषण करने का कानूनी अधिकार देने वाला कुप्रयास” बताया है।

“मोदी-भाजपा-संघ सरकार का यह कदम केवल पूंजीपतियों के हित साधने के लिए है। इससे करोड़ों असंगठित मजदूरों का कानूनी सुरक्षा कवच समाप्त हो जाएगा,” —वेदप्रकाश विद्रोही

असंगठित मजदूरों के संघर्षों पर पानी फेरने की साजिश

वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय जिन मजदूर समर्थक कानूनों को सुप्रीम कोर्ट की पहल और जनसंघर्षों के चलते लागू कराया गया था, उन्हें समाप्त कर अब मजदूरों को फिर से शोषण के दौर में धकेलने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने आगाह किया कि यदि ये चार लेबर कोड लागू हो गए, तो विशेष रूप से निर्माण, खनन, वन क्षेत्रों और ईंट-भट्ठों में काम करने वाले श्रमिकों की स्थिति और बदतर हो जाएगी।

“लेबर कोड नहीं, शोषण का कानूनी हथियार बनेंगे ये नए कानून”

“चार लेबर कोड वास्तव में मजदूरों को अधिकार देने नहीं, बल्कि उनके संघर्षों से हासिल कानूनों को खत्म करने का तरीका है। यह पूरी तरह से मजदूर विरोधी और असंवैधानिक कदम है,” — विद्रोही

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा यह तर्क देना कि चार कोड से सरलता आएगी, एक भ्रम है। हकीकत में इससे पूंजीपतियों को श्रम बाजार में मनमानी करने की छूट मिलेगी और श्रमिकों के पास न्याय पाने का कोई ठोस माध्यम नहीं बचेगा।

20 मई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान, जनसमर्थन की अपील

वेदप्रकाश विद्रोही ने देशभर की ट्रेड यूनियनों, कर्मचारियों की फेडरेशनों और सभी जागरूक नागरिकों से आह्वान किया कि वे 20 मई को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लें और मोदी सरकार के इस जनविरोधी फैसले का विरोध करें।

“जो नागरिक समानता और शोषण-मुक्त समाज में आस्था रखते हैं, वे मजदूरों की इस लड़ाई में साथ खड़े हों। यह सिर्फ मजदूरों की नहीं, पूरे लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की लड़ाई है,” — वेदप्रकाश विद्रोही

संघर्ष रहेगा जारी जब तक निर्णय वापिस न लिया जाए

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल एक दिन की हड़ताल तक सीमित नहीं रहेगा। यदि सरकार ने मजदूर-विरोधी निर्णय वापस नहीं लिए, तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा देश के करोड़ों मेहनतकशों की रोजी-रोटी और गरिमा से जुड़ा है।

निष्कर्ष:
वेदप्रकाश विद्रोही की तीखी टिप्पणी और 20 मई की प्रस्तावित हड़ताल इस बात का संकेत है कि देश में श्रमिकों के अधिकारों को लेकर एक बड़ा जनविरोध खड़ा हो रहा है। केंद्र सरकार को श्रमिक हितों की अनदेखी करने से पहले जनभावनाओं को गंभीरता से लेना होगा।

Share via
Copy link