नारनौल,चंडीगढ़, 6 मई 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा सरकार पर अहीरवाल क्षेत्र की घोर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा तीन बार लगातार हरियाणा की सत्ता में अहीरवाल की एकतरफा मदद से आई, फिर भी इस क्षेत्र की भावनाओं और शहीदों के सम्मान को नजरअंदाज कर रही है।

विद्रोही ने नारनौल के निकट कोरियावास गांव में स्थापित मेडिकल कॉलेज का मुद्दा उठाते हुए कहा कि क्षेत्र की जनता वर्षों से कॉलेज का नाम 1857 की क्रांति के वीर नायक अमर शहीद राव तुलाराम के नाम पर रखने की मांग कर रही है, लेकिन भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब राव तुलाराम की परपोती आरती राव हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं और उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में मंत्री हैं, फिर भी यदि यह काम नहीं हो पा रहा तो इससे बड़ा क्षेत्रीय अपमान और क्या हो सकता है?

विद्रोही ने यह भी कहा कि जिस मेडिकल कॉलेज कोरियावास गांव में बना है, उसकी 80 एकड़ जमीन गांववासियों ने बिना मुआवज़ा दिए सरकार को दी थी। इसके बावजूद सरकार न तो कॉलेज का नामकरण कर रही है और न ही नसीबपुर में 16 नवंबर 1857 की ऐतिहासिक लड़ाई में बलिदान देने वाले पाँच हज़ार वीर सैनिकों की याद में कोई स्मारक बना रही है। उन्होंने इस व्यवहार को सिर्फ अहीरवाल नहीं, बल्कि पूरे 1857 स्वतंत्रता संग्राम और शहीद राव तुलाराम का अपमान बताया।

वेदप्रकाश विद्रोही ने अहीरवाल की जनता से अपील की कि वे भाजपा और संघ के बहकावे में न आएं और गंभीरता से विचार करें कि क्या बार-बार समर्थन देकर वे स्वयं अपने अधिकारों और स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे हैं?

संस्था के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने अपनी प्रतिक्रिया में दो टूक कहा:
“हम किसी राजनीतिक लाभ या पद की मांग नहीं कर रहे। हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि हमारे क्षेत्र और हमारे शहीदों को वह सम्मान मिले, जिसके वे वास्तविक हकदार हैं। भाजपा सरकार यह सम्मान नहीं दे रही – यह अहीरवाल की आत्मा के साथ धोखा है।”

संस्था ने मांग की है कि:

  1. कोरियावास मेडिकल कॉलेज का नाम तुरंत अमर शहीद राव तुलाराम के नाम पर किया जाए।
  2. नसीबपुर में 1857 के बलिदानियों की स्मृति में एक भव्य स्मारक का निर्माण हो।
  3. अहीरवाल क्षेत्र के साथ जारी उपेक्षा की नीति तत्काल बंद की जाए और विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाए।

ग्रामीण भारत संस्था ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही मांगें नहीं मानी गईं तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा और भाजपा सरकार को इसका राजनीतिक जवाब भी भुगतना पड़ेगा।

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