अहीरवाल से क्यों नहीं बना कोई सामान्य कार्यकर्ता मंत्री?

11 मई 2025, रेवाड़ी। “भाजपा में सामान्य कार्यकर्ता भी प्रधानमंत्री बन सकता है”—इस कथन को हकीकत से जोड़ने वाले अहीरवाल के भाजपा नेताओं को सामाजिक संगठन ‘ग्रामीण भारत’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने कटघरे में खड़ा करते हुए तीखा सवाल दागा है कि जब बात अहीरवाल क्षेत्र की आती है तो भाजपा सरकारों में सामान्य कार्यकर्ताओं को मंत्री पद क्यों नहीं मिलता?

विद्रोही ने भाजपा के ‘साधारण से असाधारण’ बनने के दावे को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि हरियाणा में भाजपा के कुल 11 विधायक अहीरवाल क्षेत्र से हैं, फिर भी सरकार में मंत्री बनने का सौभाग्य सिर्फ उन्हीं को मिला जिनके परिवार कई पीढ़ियों से राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि,
“अहीरवाल क्षेत्र से भाजपा सरकार में जो मंत्री बने हैं, वे कभी सामान्य कार्यकर्ता नहीं रहे, बल्कि उनके खानदान में तीन-चार पीढ़ियों से विधायक, सांसद और मंत्री बनते आ रहे हैं।”

मंत्री पद पर ‘खास’ का कब्जा, ‘साधारण’ हाशिए पर

वेदप्रकाश विद्रोही ने सवाल उठाया कि हरियाणा में लगातार तीन बार भाजपा सरकार बनने के बावजूद अहीरवाल के किसी साधारण पृष्ठभूमि से आए विधायक को मंत्री क्यों नहीं बनाया गया?
उन्होंने पूछा कि जो भी मंत्री बने, क्या वे वास्तव में पार्टी के मूल कार्यकर्ता थे या किसी खास नेता की सिफारिश और आशीर्वाद से सत्ता की सीढ़ियाँ चढ़े?

उनका यह भी कहना था कि भाजपा नेताओं को खुद के ‘अंतरमन’ में झाँककर यह सोचना चाहिए कि क्या मंत्री पद योग्यता और जमीनी मेहनत के आधार पर मिला है या वंशवाद और सिफारिश से?

“भाजपा सरकारों में मंत्री मात्र सजावटी कठपुतली”: विद्रोही

वेदप्रकाश विद्रोही ने भाजपा के सत्ता संचालन के तरीके पर भी करारा हमला करते हुए कहा कि,
“भाजपा सरकारों में मंत्री पद केवल एक ‘शो-पीस’ है। केन्द्र में हो या हरियाणा में, बिना नागपुर की अनुमति के कोई मंत्री अपने निजी सचिव तक की नियुक्ति नहीं कर सकता।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा,
“कठपुतलियों की तरह नाचने को मजबूर इन मंत्रियों के पास न तो कोई स्वायत्तता है और न ही क्षेत्र के लोगों के लिए कोई निर्णायक शक्ति।”

अहीरवाल को दिया सिर्फ वादों का भरोसा, विकास अब भी अधूरा

विद्रोही ने याद दिलाया कि 1857 के क्रांतिकारी राव तुलाराम के नाम पर कोरियावास में मेडिकल कॉलेज की घोषणा हो या नसीबपुर में स्वतंत्रता सेनानियों का स्मारक—इनमें से कोई भी कार्य भाजपा सरकार पूरी नहीं कर सकी।
इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि,
“भाजपा सांसद और विधायक पिछले 11 वर्षों में अहीरवाल के लिए पीने के पानी तक की समुचित व्यवस्था नहीं करवा पाए।”

“भाजपा कार्यकर्ताओं और आमजन की हैसियत केवल भीड़ तक सीमित”

विद्रोही ने अंत में कहा कि भाजपा में जमीनी कार्यकर्ता केवल नारों और रैलियों की भीड़ भरने का साधन बनकर रह गया है।
“न तो कार्यकर्ता की आवाज़ सुनी जाती है और न ही आमजन की अपेक्षाओं की कोई कीमत है।”
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब अहीरवाल के लोगों को भाजपा नेताओं से जवाब माँगना चाहिए कि जनसमर्थन के बदले उन्हें क्या मिला—विकास या केवल वादे?

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