????️ “ये सिर्फ ट्रोलिंग नहीं, डिजिटल आतंकवाद है — भारत माता के देश में छिपे मनोरोगियों की करतूत है।”
— पर्ल चौधरी, कांग्रेस नेत्री
????️ “भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी है, लेकिन किसी की बेटी, बहन या पत्नी को डराने की नहीं।”
????️ “जब शासन चुप और समाज मौन हो जाए, तब राष्ट्र की आत्मा घायल होती है।”

नई दिल्ली, गुरुग्राम, 11 मई। भारत की सांस्कृतिक चेतना, संवैधानिक गरिमा और महिलाओं की अस्मिता पर चोट करते हुए देश में साइबर ट्रोलिंग की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने इसे लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि यह महज़ ट्रोलिंग नहीं, बल्कि “डिजिटल आतंकवाद” है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पर्ल चौधरी ने दो हालिया मामलों का हवाला देते हुए कहा कि पहले शहीद नौसेना अधिकारी श्री विनय नारवाल की बहादुर धर्मपत्नी हिमांशी नारवाल को ट्रोलिंग, गालियों और मानसिक उत्पीड़न का निशाना बनाया गया। अब विदेश सचिव विक्रम मिश्री और उनकी बेटी के खिलाफ भी अशोभनीय भाषा, मोबाइल नंबर सार्वजनिक करने जैसी ओछी हरकतें की जा रही हैं।
उनका कहना है,
“यह केवल साइबर अपराध नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला है। ऐसे लोग कीबोर्ड के पीछे छिपे गद्दार हैं — ये डिजिटल आतंकवादी हैं।”
उन्होंने सरकार और साइबर क्राइम एजेंसियों से इन घटनाओं का तत्काल संज्ञान लेने और अपराधियों के खिलाफ कठोरतम दंडात्मक कार्रवाई की माँग की।
“भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन किसी महिला को डराने की नहीं”
पर्ल चौधरी ने देश की महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसे ट्रोलर्स का उद्देश्य केवल डर फैलाना नहीं, बल्कि राष्ट्र के सच्चे सेवकों और उनके परिवारों का मनोबल तोड़ना है।
उन्होंने स्पष्ट किया —
“शहीद की पत्नी और अफसर की बेटी को गालियाँ देना, उनकी निजता भंग करना — यह हमारी लोकतांत्रिक मर्यादा की हत्या है। क्या यही है डिजिटल इंडिया?”
उन्होंने कहा कि यदि अब भी सरकार चुप रही तो यह जनआंदोलन का विषय बनेगा और देशभर में इसके खिलाफ आवाज़ उठेगी।
“भारत को डिजिटल आतंकवाद से मुक्त करना होगा — यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है”
पर्ल चौधरी ने कहा कि जब तक समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं मिलेगा और जब तक देश की बेटियों को खुलेआम ट्रोल किया जाता रहेगा, तब तक भारत एक सुरक्षित राष्ट्र नहीं कहलाएगा।
उन्होंने कहा —
“जिस समाज में माँ, बहन और बेटी की अस्मिता सुरक्षित नहीं, वहाँ राष्ट्रवाद एक ढोंग बन जाता है।”
उन्होंने देशवासियों से भी अपील की कि वे ऐसे साइबर अपराधियों को बर्दाश्त न करें, उनका सामाजिक बहिष्कार करें और कानून के माध्यम से उन्हें कटघरे में लाएं।
निष्कर्ष: अब चुप नहीं रहेगा भारत
कांग्रेस नेत्री का यह बयान न केवल एक राजनैतिक प्रतिक्रिया है, बल्कि यह भारत की सामाजिक चेतना को झकझोरने वाली पुकार है। अब यह केवल सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है कि वह इस डिजिटल आतंकवाद के खिलाफ खड़ा हो।