डॉ. रामराज कौशिक
कुरुक्षेत्र — धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में ब्राह्मण समाज की प्रतिष्ठित संस्था श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्वार सभा को लेकर गंभीर विवाद सामने आया है। हाल ही में हुए चुनाव को लेकर पारदर्शिता की कमी, नियमों की अनदेखी और वित्तीय अनियमितताओं पर सवाल उठते हुए समाज में असंतोष व्याप्त है। इसी मुद्दे पर आज ब्राह्मण धर्मशाला एवं छात्रावास में समाज की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।
पारदर्शिता पर उठे सवाल, RTI से कई अनियमितताएं उजागर
सभा के कुछ सदस्यों द्वारा RTI अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी समाज और मीडिया के समक्ष प्रस्तुत की गई।
मुख्य बिंदु:
- कोविड-19 के दौरान तीर्थ पुरोहितों की सहायता का दावा किया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला।
- नवरात्रि नवमी पर भंडारे का खर्च सभा के खाते में दिखाया गया जबकि भंडारा श्रद्धालुओं द्वारा किया गया था।
- सभा द्वारा ‘मिड-डे मील’ चलाने का दावा और उस पर मोटा खर्च दिखाया गया, पर किसी मंदिर में ऐसा भोजन वितरण होता नहीं दिखा।
- कोविड काल में जबकि सभी धार्मिक स्थल बंद थे, तब भी मिड-डे मील का खर्च दर्शाया गया।
- चांदी के मुकुट की कीमत सभा के खर्च में जोड़ी गई, जबकि वह श्रद्धालु द्वारा भेंट किया गया था।
- उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को सहायता देने का दावा भी झूठा निकला, कोई साक्ष्य नहीं मिला।
- कर्मचारियों को दी जाने वाली वेतन की जानकारी अस्पष्ट और अपारदर्शी पाई गई।
तीर्थ पुरोहित बृजमोहन भार्गव का बयान
“सभा के सदस्यों में मतभेद, पारदर्शिता की कमी और धन का दुरुपयोग उसकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचा रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जनता और सरकार का विश्वास उठ जाएगा।”
समाज ने बनाई 31 सदस्यीय रणनीतिक कमेटी
विवादों के बीच ब्राह्मण समाज ने आगे की रणनीति तय करने के लिए 31 सदस्यीय समिति का गठन किया। सदस्यों में अरुण आश्री, मनोज कौशिक, अल्केश मोदगिल, बृजमोहन भार्गव, रामराज कौशिक, गिरधारी लाल, रविंद्र शर्मा, यशपाल शर्मा, अक्षत कौशिक, हरीश गोंदिया, वैद्य राकेश गौड़ सहित प्रमुख नाम शामिल हैं।
चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर आरोप
पंडित रामराज कौशिक ने सभा के चुनाव को असंवैधानिक बताते हुए कहा:
- सोसाइटी एक्ट 2012 और सभा के संविधान के अनुसार चुनाव नहीं हुआ।
- कॉलजियम की कोई वैध बैठक या अधिसूचना नहीं हुई।
- वोटर लिस्ट अप्रामाणिक, मृतकों के नाम भी शामिल।
- प्रधान का इस्तीफा गुप्त रखा गया, टर्म समाप्त होने से पूर्व चुनाव करा दिए गए।
- कोई सार्वजनिक नोटिस या समाचार पत्र में विज्ञापन जारी नहीं किया गया।
रजिस्ट्रार की भूमिका भी संदिग्ध
सभा के चुनावों में फर्म एंड सोसाइटी के जिला रजिस्ट्रार की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि:
- रजिस्ट्रार ने 24 अप्रैल को सभा के पदाधिकारियों को तलब किया था।
- लेकिन वे 21 अप्रैल को ही अगली तारीख 13 मई ले गए।
कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी
समाज ने निर्णय लिया है कि इस चुनाव प्रक्रिया को माननीय न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।
रामराज कौशिक ने कहा: “यह संस्था समाज की धरोहर है, इसे कुछ लोगों के निजी स्वार्थ की भेंट नहीं चढ़ने देंगे।”
निष्कर्ष: श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्वार सभा का यह विवाद अब केवल संस्था की आंतरिक बात नहीं रह गया है, बल्कि यह पूरे ब्राह्मण समाज की पारदर्शिता, गरिमा और नेतृत्व पर भी प्रश्नचिन्ह है। समाज अब सजग है और परिवर्तन की दिशा में संगठित हो चुका है।