“हम बाबा साहब के संविधान की संतति हैं – हमारे अधिकार कोई भी सरकार नहीं छीन सकती, नायाब सैनी जी की भाजपा सरकार भी नहीं!” – पर्ल चौधरी
पर्ल चौधरी …….. महासचिव, कांग्रेस अनुसूचित जाति सेल, हरियाणा
गुरुग्राम, 14 मई। हरियाणा में भाजपा की नायब सैनी सरकार ने अपने पहले ही कैबिनेट फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओट में दलित समाज को DSC और OSC में बांट दिया था। सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय के बाद हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जातियों का बँटवारा किया था – उसमें साफ निर्देश था कि 10% वंचित अनुसूचित जातियों (DSC) और 10% अन्य अनुसूचित जातियों को मिलना है।
लेकिन जब ग्रुप डी के 7596 पदों की भर्ती अधिसूचना जारी हुई, तो दलित समाज के लिए 1519 की बजाय केवल 1209 पद आरक्षित किए गए। यानी 310 पदों की खुली हेराफेरी! वंचित वर्ग को 605 और अन्य को 604 पद देकर सरकार ने 310 पद चुपचाप निगल लिए।
यह कोई भूल नहीं, यह संविधान की हत्या है। और इस साजिश के खिलाफ अब एक शिक्षित दलित बेटी – कांग्रेस SC सेल की महासचिव पर्ल चौधरी – सीना तानकर खड़ी हैं।
“यह नारा कि सबका साथ, सबका विकास, असल में बना है – दलित समाज को बांटो, दलित युवाओं को नौकरियों में छांटो और दलित समाज के सपनों को लूटो। भाजपा सरकार ने दलित समाज को दो हिस्सों में बांटकर एक खाई पैदा कर दी है और अब उस खाई में हमारे बच्चों के सपनों को दफन किया जा रहा है। मैं साफ चेतावनी देती हूँ – यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
पर्ल चौधरी ने तीखा सवाल उठाया कि यदि 20% आरक्षण है, तो फिर केवल 1209 पद क्यों? यह कोई टेक्निकल गलती नहीं, बल्कि सरकार की दलित-विरोधी मानसिकता का जीता-जागता सबूत है।
यह मेरी राजनीतिक लड़ाई नहीं है – यह मेरे समाज की लड़ाई है। बाबा साहब के संविधान के तहत हमें मिले अधिकारों की रक्षा करना मेरा धर्म है।
“मेरे पिताजी श्री भूपेंद्र चौधरी ने जब विधायक थे, तब अपनी ही पार्टी की सरकार में रहते हुए भी दलित समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आज वही खून मेरी रगों में बह रहा है – और मैं, एक शिक्षित दलित बेटी, समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ूंगी।”
पर्ल चौधरी ने हरियाणा की पिछली सरकारी भर्तियों का भी उल्लेख किया –
गुड़गांव नगर निगम चुनाव 2025 में 36 पार्षदों की सीटों में से सिर्फ 3 सीटें दलित समाज को देना, 57% सीटों की कटौती थी। मानेसर में 4 की जगह सिर्फ 3 सीटें दी गई।
हरियाणा सिविल सर्विसेज ज्यूडिशियल परीक्षा में 39 की जगह केवल 9 दलित उम्मीदवारों का चयन,
और इंटरव्यू में जानबूझकर 15%-25% अंक देकर बच्चों को बाहर करना – यह सब उस गहरी साजिश का हिस्सा है, जिससे दलित समाज की पीढ़ियों को शिक्षा, नौकरी और नेतृत्व से बाहर धकेला जा रहा है।
“यह सरकार नहीं चाहती कि दलित युवा न्यायपालिका में पहुंचे, नौकरियों में आएं या निर्णय की कुर्सी तक पहुंचें। लेकिन हम यह होने नहीं देंगे। डी ग्रुप 310 पदों की यह चोरी हमें चुप नहीं करा सकती।”
कांग्रेस SC सेल मांग करती है:
- दलित समाज के आरक्षण के डी ग्रुप के 310 पद तुरंत बहाल किए जाएं।
- इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- मुख्यमंत्री नायब सैनी जनता से माफी मांगें और सही में बाबा साहेब के संविधान में विश्वास रखते हैं तो दलित समाज के युवाओं के इस हक पर डकैती के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दें।
“हम संविधान को मिटाने वालों को उनके ही कानूनों से शिकस्त देंगे। हम बाबा साहब के रास्ते पर चलने वाले हैं – जो झुकते नहीं, डरते नहीं, और लड़ते हैं… जब तक हक न मिल जाए!”
जय भीम। जय संविधान।