अब तीन दिन पहले घोषित डी ग्रुप की 7596 पदों में क्या बंदरबाँट करने की कोशिश की जा रही है ?
पिछले वर्ष हरियाणा सिविल सर्विसेज की ज्यूडिशियल सर्विसेज की परीक्षा में क्या हुआ?
गुड़गांव नगर निगम के पिछला चुनाव का उदाहरण सामने है
गुरुग्राम, 17 मई। वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने ब्यान जारी करते हुए कहा हरियाणा की भाजपा सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनके लिए दलित समाज सिर्फ एक वोट बैंक है – जिनके अधिकारों को हर बार साजिशन छीना जाता है, और जिसके हिस्से की रोटी हर बार सत्ता के बंदर चट कर जाते हैं।
बचपन में हम सबने “बंदर और दो बिल्लियों” की कहानी सुनी थी – जहां दो बिल्लियाँ आपस में रोटी के टुकड़े को लेकर झगड़ती हैं और बंदर न्याय का दिखावा करते हुए पूरा टुकड़ा गटक जाता है। आज वही कहानी हरियाणा में दोहराई जा रही है – फर्क सिर्फ इतना है कि अब रोटी दलित समाज के अधिकारों की है, दलित युवाओं के उज्जवल भविष्य के लिए सरकारी भर्तियों की है, शहरी निकाय चुनावों में दलित समाज के प्रतिनिधित्व की है और बंदर, वंचित दलित समाज (DSC) और अन्य दलित समाज (OSC) में – दलित समाज को बांटकर, खुद को सामाजिक न्याय का पुरोधा वाली सरकार दिखाने में लगा है
गुड़गांव नगर निगम के पिछला चुनाव का उदाहरण सामने है –
2017 में 35 पार्षदों की सीटों में 6 पार्षदों की सीटें दलित समाज के लिए आरक्षित थीं। लेकिन 2025 में पार्षदों की सीटें बढ़कर 36 हो गईं, लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से दलित समाज के हिस्सेदारी की सीटें घटाकर 3 कर दी गईं! क्या दलित समाज की आबादी घट गई है? क्या गुडगांव में महँगी शिक्षा, आसमान छूती महंगाई और अव्यवस्था से दलित समाज पलायन कर गया है – नहीं । सिर्फ भाजपा सरकार लोकसभा चुनावों में अपनी करारी हार के लिए दलित समाज को जिम्मेदार मानते हुए, पूर्वाग्रह से ग्रषित होकर दलित समाज को कमजोर करने में लगी है।
पिछले वर्ष हरियाणा सिविल सर्विसेज की ज्यूडिशियल सर्विसेज की परीक्षा में क्या हुआ?
39 आरक्षित पदों पर सिर्फ 9 दलित उम्मीदवार जज बनने दिया गया। शेष दलित युवाओं को पर्सनालिटी टेस्ट में जानबूझकर बेहद कम अंक देकर मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया गया। करीब 80% दलित युवाओं को पर्सनालिटी टेस्ट के चक्रव्यूह में 25% से भी कम अंक दिए गए जबकि पास करने के लिए जरूरी 45% से ज्यादा अंक सिर्फ 2 दलित युवाओं को ।यह न सिर्फ एक शैक्षणिक जालसाजी है, बल्कि यह स्पष्ट जातीय भेदभाव है। पता नहीं पर्सनालिटी टेस्ट वाले ऐसा क्या प्रश्न पूछते हैं कि दलित समाज का युवा उसमे अटक जाता है सरकार को चाहिए कि इन पर्सनालिटी टेस्ट लेनेवालों की शैक्षणिक योग्यता को भी जनता से साझा करे।
अब तीन दिन पहले घोषित डी ग्रुप की 7596 पदों में क्या बंदरबाँट करने की कोशिश की जा रही है ?
20% आरक्षण के तहत दलित समाज के लिए 1519 पद आरक्षित होने चाहिए थे। इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी अपनी ही हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के दफ्तर से जारी, 13 नवंबर 2024 की प्रपत्र संख्या : 22/163/2024-5HR-lll की बिंदु (iii) का पालन कर लें। लेकिन दलित समाज को सबक सिखाने में लगी भाजपा सरकार ने 123 पद गायब कर दिए और सिर्फ 1396 पद घोषित किए। DSC के लिए 605 और OSC के लिए 604 DSC/OSC ईएसएम और ईएसपी के लिए 187, ये किस गणित से किया गया? संविधान की कौन सी किताब में लिखा है कि दलितों के अधिकार इतने आसानी से काटे जा सकते हैं?
ये सबकुछ भाजपा की एक सुनियोजित चाल का हिस्सा है – हरियाणा भाजपा का असली नारा अब साफ हो चुका है:
“दलित समाज को पहले बांटो, फिर दलित युवाओं को नौकरियों में छांटो, और फिर दलित समाज के सपनों को लूटो!”
यही वो “बंदरबांट की नायाब राजनीति” है, जो आज हरियाणा में चरम पर है।
मैं आज अपने समाज से भी एक सीधी बात कहना चाहती हूं – अब समय आ गया है कि आप अपने अधिकारों की रक्षा खुद करें।
अब चुप रहना गुनाह होगा, और अधिकारों के किये आवाज उठाना, कर्तव्य।
आपको अपना हिस्सा मांगना नहीं, लेना होगा – भारत के संविधान के दम पर, लोकतंत्र की ताकत से।
हमारी लड़ाई अब सिर्फ रोटी की नहीं, हिस्सेदारी और आत्मसम्मान की है।
हमारी चुप्पी अब समाज के अधिकार खोने की कीमत बन रही है।
अब बोलिए – ताकि हमारी अगली पीढ़ी सिर्फ रोटी नहीं, न्याय की भाषा बोले। – पर्ल चौधरी