पानी-बिजली के संकट से जूझ रहा है अहीरवाल, CM सैनी मौन ………

रेवाड़ी, 19 मई 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि “एक बार फिर यह सिद्ध हो गया है कि भाजपा को अहीरवाल की समस्याओं और गौरव से कोई सरोकार नहीं है।”

विद्रोही ने रविवार को महेंद्रगढ़ में मुख्यमंत्री द्वारा रूटीन विकास कार्यों के उद्घाटन को “मुँह मियाँ मिट्ठू बनने का प्रयास” करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने एक बार फिर अहीरवाल की जनता की भावनाओं की अनदेखी की है।

कोरियावास मेडिकल कॉलेज का नाम शहीद राव तुलाराम के नाम पर रखने की माँग पर चुप्पी
उन्होंने कहा कि अहीरवाल की वर्षों पुरानी और बार-बार दोहराई जा रही माँग के बावजूद मुख्यमंत्री ने कोरियावास मेडिकल कॉलेज का नाम 1857 के अमर बलिदानी राव तुलाराम के नाम पर रखने पर एक शब्द तक नहीं कहा।

नसीबपुर स्मारक की भी कोई चर्चा नहीं
विद्रोही ने बताया कि सात-आठ साल पहले सरकार द्वारा घोषित नसीबपुर मैदान में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद में एक भव्य स्मारक बनाने की योजना का भी कोई जिक्र मुख्यमंत्री के संबोधन में नहीं था। उन्होंने सवाल किया कि जब अहीरवाल ने भाजपा को तीन बार सत्ता में पहुँचाया, तो उसकी उम्मीदों की बार-बार उपेक्षा क्यों की जा रही है?

भीषण गर्मी में पानी-बिजली का संकट, भाखड़ा डैम एक बहाना मात्र
विद्रोही ने क्षेत्र में लगातार बढ़ते जल संकट और बिजली कटौती को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूरे अहीरवाल क्षेत्र में लोग भीषण गर्मी में पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं — न केवल इंसान, बल्कि पशु-पक्षी तक प्यास से बेहाल हैं।

सरकार की भाखड़ा डैम का हवाला देने की नीति पर तीखा सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा:
“जब भाखड़ा डैम से हरियाणा को जो पानी मिलता है, उसकी एक बूंद भी कभी अहीरवाल क्षेत्र में नहीं पहुँची, तो फिर पानी न मिलने के नाम पर अहीरवाल को क्यों प्यासा मारा जा रहा है?”

बिजली के 8–10 घंटे कट, जनजीवन अस्त-व्यस्त
विद्रोही ने कहा कि भीषण गर्मी में अहीरवाल में प्रतिदिन 8 से 10 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। ऐसे हालात में न पर्याप्त पानी है, न बिजली, और सरकार की चुप्पी जनता के साथ अन्याय है।

“अहीरवाल के एकतरफा समर्थन का क्या मिला प्रतिफल?”
उन्होंने अंत में कहा कि “भाजपा को अहीरवाल ने तीन बार सरकार बनाने में निर्णायक समर्थन दिया, लेकिन बदले में न आदर मिला, न अपेक्षित विकास। यह स्पष्ट करता है कि भाजपा के लिए अहीरवाल का एकतरफा समर्थन सिर्फ आंकड़ों तक सीमित है, संवेदनाओं तक नहीं।”

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