वेतन व बैंक खाता अटैच होने के डर से अदालत में सौंपा गया चेक
गुरुग्राम, 19 मई (अशोक): बिजली चोरी के एक मामले में अदालत के स्पष्ट आदेशों की अनदेखी करना बिजली निगम को भारी पड़ गया। अदालत द्वारा जुर्माना राशि ब्याज सहित लौटाने के आदेश के बावजूद जब निगम ने भुगतान नहीं किया तो उपभोक्ता की ओर से की गई एग्जिक्यूशन पिटिशन के चलते अधिकारियों के वेतन और निगम के बैंक खातों पर अटैचमेंट की तलवार लटक गई। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए अंततः बिजली निगम को उपभोक्ता को अदालत में चेक सौंपने पर मजबूर होना पड़ा।
यह मामला ज्योति पार्क निवासी उपभोक्ता विमला खुराना से जुड़ा है, जिनका बिजली मीटर सितंबर 2016 में बदला गया था। मीटर की सील टूटी होने का हवाला देकर बिजली निगम ने उन पर ₹98,382 का जुर्माना ठोका, जिसे उपभोक्ता ने कनेक्शन कटने के डर से भर तो दिया, लेकिन 18 नवंबर 2016 को अदालत का दरवाजा खटखटा दिया।
उपभोक्ता के अधिवक्ता क्षितिज मेहता के अनुसार, निचली अदालत ने 31 मई 2022 को उपभोक्ता की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उपभोक्ता ने 4 जुलाई 2022 को इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. वीरेंद्र प्रसाद की अदालत ने 19 दिसंबर 2023 को उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और निगम को आदेश दिए कि वह जुर्माना राशि 6% वार्षिक ब्याज के साथ वापस लौटाए।
इसके बावजूद जब भुगतान नहीं हुआ, तो उपभोक्ता की ओर से बिजली निगम के एसडीओ, एक्सईएन व एसई का वेतन तथा निगम के बैंक खातों को अटैच करने की मांग को लेकर अदालत में एग्जिक्यूशन पिटिशन दायर की गई। यह कदम निगम पर भारी पड़ा, और अधिकारियों को आशंका हो गई कि अदालती आदेश में यदि अकाउंट अटैचमेंट की स्वीकृति मिल गई तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। अंततः अदालत में ही उपभोक्ता को पूरी धनराशि का चेक सौंपकर मामले को शांत करना पड़ा।
अधिवक्ता मेहता ने यह भी जानकारी दी कि उनकी मुवक्किल अब बिजली निगम के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मानसिक उत्पीड़न और अनुचित कार्रवाई के लिए अलग से वाद दाखिल करने की तैयारी कर रही हैं।