“नशा बेचने वाले आतंकियों से भी ज्यादा खतरनाक हैं” – युवाओं को बचाने के लिए सरकार चलाए ठोस अभियान

गुरुग्राम, 21 मई – देश की राजधानी से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम में अपराधों का बढ़ता ग्राफ चिंता का विषय बनता जा रहा है। समाजसेवी इंजीनियर गुरिंदरजीत सिंह ने अर्जुन नगर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए नशे के बढ़ते प्रभाव पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि “गुरुग्राम में नशा अब सिर्फ स्वास्थ्य नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन चुका है।”
नशा फैशन नहीं, विनाश है – युवाओं को बनाया जा रहा है शिकार
गुरिंदरजीत सिंह ने बताया कि आज का युवा वर्ग नशे को फैशन समझकर अपना जीवन बर्बाद कर रहा है। नशा आसानी से उपलब्ध है और इसमें शामिल तस्कर युवाओं को जाल में फंसा रहे हैं। उन्होंने कहा, “नशा बेचने वाले सिर्फ व्यापारी नहीं, राष्ट्र के दुश्मन हैं।”
“ऑपरेशन सिंदूर-2.0” की मांग – नशा तस्करों पर चले राष्ट्रव्यापी अभियान
गुरिंदरजीत सिंह ने “ऑपरेशन सिंदूर-2.0” की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा,
“जैसे आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चला था, वैसे ही नशा बेचने वालों के खिलाफ भी एक बड़ा अभियान चलाया जाए। ये सौदागर हमारे देश की जड़ों को खोखला कर रहे हैं।”
उन्होंने भावुक होकर कहा,
“नशे से कई घर तबाह हो रहे हैं, सिंदूर उजड़ रहे हैं। इससे बड़ा आतंरिक खतरा और क्या हो सकता है?”
“नशा बेचने वाले, आतंकियों से भी ज्यादा खतरनाक”
गुरिंदरजीत सिंह ने सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा,
“देश में रोज़ करीब 350 लोग शराब के कारण और 20-25 लोग अन्य नशे के कारण मरते हैं। फेफड़े, किडनी, लीवर सब कुछ बर्बाद हो जाता है। ये नशे के सौदागर युवाओं को मौत की ओर धकेल रहे हैं।”
उनका कहना है कि ये तस्कर लोगों को अपना बना कर नशे का आदी बनाते हैं, फिर उनके घर, पैसा और ज़िंदगी सब लूट लेते हैं।
स्वस्थ भारत के लिए जरूरी है नशा मुक्त समाज
उन्होंने स्पष्ट किया कि एक नशा मुक्त समाज ही एक उत्पादक, शांतिपूर्ण और विकसित समाज की नींव रख सकता है।
“जब लोग मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे, तभी वे राष्ट्रनिर्माण में योगदान दे सकेंगे।”
सरकार की दोहरी नीति पर उठाए सवाल
गुरिंदरजीत सिंह ने हरियाणा सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाते हुए कहा,
“एक तरफ सरकार ‘नशा मुक्त हरियाणा’ के नाम पर साइक्लोथॉन जैसे अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर नई आबकारी नीति के जरिए शराब को बढ़ावा दे रही है। क्या यह विरोधाभास नहीं है?”
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सरकार कॉर्पोरेट शराब नीति ला चुकी है, जो पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने वाली थी।
सख्त कानून, कठोर कार्यवाही की जरूरत
गुरिंदरजीत सिंह ने सरकार से मांग की कि नशा तस्करी के खिलाफ कड़े कानून बनाए जाएं और उनका सख्ती से पालन हो।
उन्होंने कहा,
“नशा मुक्त समाज बनाना केवल सरकार का नहीं, पूरे समाज का दायित्व है। लेकिन इसमें सरकार की सक्रिय भूमिका सबसे अहम है।”
निष्कर्ष
समाजसेवी गुरिंदरजीत सिंह की यह माँग केवल एक बयान नहीं, बल्कि एक जनजागरण का आह्वान है। ऑपरेशन सिंदूर-2.0 जैसे ठोस कदम आज की सबसे बड़ी जरूरत बन चुके हैं – ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ नशे के अंधेरे से बच सकें और भारत एक स्वस्थ, स्वावलंबी राष्ट्र के रूप में उभर सके।