“मातृत्व और अध्यापन, समाज की असली रीढ़” – मनोज सिंघल
गुरुग्राम (जतिन/राजा)। “मां केवल जन्म नहीं देती, वह जीवन भर गढ़ती है, संवारती है, दिशा देती है।” इस भावना को सजीव करते हुए एमएमएम फाउंडेशन (मोहिंद्र सिंह सिंघल एजुकेशन एंड रिसर्च सोसायटी) के अध्यक्ष मनोज सिंघल अपनी दिवंगत माता मालती मोहिंद्र सिंह सिंघल की स्मृति में मालती ज्ञान पीठ पुरस्कार-2025 का आयोजन कर रहे हैं। यह आयोजन न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि शिक्षा और समाज निर्माण के प्रति समर्पण की अद्वितीय मिसाल भी है।
यह भव्य अध्यापक सम्मान समारोह आगामी 29 मई को नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (कमला देवी कॉम्प्लेक्स, मल्टी परपज़ हॉल) में आयोजित होगा। समारोह के मुख्य अतिथि देश के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ होंगे। विशिष्ट अतिथियों में पंजाब के राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया, वरिष्ठ सांसद मेनका गांधी, इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, तथा केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे शिरकत करेंगे।
इस अवसर पर देशभर से चयनित उन शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने शिक्षा जगत में अनुकरणीय योगदान दिया है और समाज के निर्माण में मूक, लेकिन मौलिक भूमिका निभाई है। प्रत्येक सम्मान में एक लाख रुपये की राशि, सम्मान चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा।
एमएमएम फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज सिंघल ने बताया कि यह सम्मान समारोह लगातार आठवें वर्ष आयोजित किया जा रहा है और अब तक 85 से अधिक उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि उनकी माता मालती मोहिंद्र सिंह सिंघल एक समर्पित शिक्षिका, बालिका शिक्षा की सशक्त पक्षधर एवं समाजसेविका थीं। वे 1980 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुईं, लेकिन इसके बाद भी जीवन के अंतिम क्षण तक ग्रामीण भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रसार में जुटी रहीं।
मनोज सिंघल कहते हैं,
“हम मां को प्रत्यक्ष रूप से धन्यवाद नहीं दे सकते, लेकिन जो शिक्षक आज हमारे बच्चों को संवार रहे हैं, उनका सम्मान करके हम मां के आदर्शों को जीवित रख सकते हैं।“
वे आगे जोड़ते हैं —
“यह केवल एक औपचारिक समारोह नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक संदेश है कि मातृत्व और अध्यापन दोनों ही समाज की रीढ़ हैं। जब हम इनका सम्मान करते हैं, तो हम अपने भविष्य, अपनी संस्कृति और अपने संस्कारों का सम्मान करते हैं।“
इस कार्यक्रम में देशभर के शिक्षा जगत, नागरिक समाज, नीति निर्माता, और संस्कृति से जुड़े वरिष्ठ जन शिरकत करेंगे, जिससे यह आयोजन एक सशक्त संवाद मंच भी बनेगा — जहां शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के सतत प्रयासों को नया प्रोत्साहन मिलेगा।